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Home loan: RBI ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव, आपके होम लोन की EMI पर इसका ये होगा असर

News Update Media
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Home loan: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 10 फरवरी को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में पॉलिसी रेट्स में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. आरबीआई ने रेपो रेट को 4% पर बरकरार रखा है. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35% पर बना रहेगा. आरबीआई रेपो रेट का होम लोन की ब्याज दरों पर सीधा और इमीडिएट असर होता है. रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर कमर्शियल बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते हैं. वहीं रिवर्स रेपो रेट, वह दर है जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. 


एक अक्टूबर 2019 से आरबीआई ने बैंकों को फ्लोटिंग रेट पर दिये जाने वाले पर्सनल लोन, ऑटो लोन और होम लोन आदि को रेपो रेट से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है. अधिकांश बैंकों में, फ्रेश होम लोन्स बैंक की रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) पर बेस्ड होते हैं, जिसे एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट (EBR) भी कहा जाता है.

MCLR से जुड़े लोन्स की तुलना में बॉरोअर्स के लिए RLLR होम लोन में रेपो रेट में किसी भी तरह के बदलाव का असर तुरंत नजर आता है. मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स (MCLR) अप्रैल 2016 से शुरू की गई थी. MCLR एक इंटरनल बेंचमार्क है. यह किसी बैंक की वह ब्याज दर होती है, जिससे कम पर वह किसी को लोन नहीं देता. यह बैंक की अपनी कॉस्ट ऑफ फंड्स पर बेस्ड है.

आपकी EMI पर होगा ये असर

आगे चलकर, फ्लैक्सिबल ब्याज दर के आधार पर होम लोन और कार लोन पर EMI का भुगतान करने वाले ब्याज की लगभग उसी दर का भुगतान करना जारी रखेंगे, जो वर्तमान में लागू है. ज्यादातर बैंक वर्तमान में लगभग 6.5 प्रतिशत की ब्याज दर से होम लोन की पेशकश कर रहे हैं. जो लोग अपना घर खरीदने के लिए होम लोन लेना चाहते हैं, उनके लिए इस समय अप्लाई करना सही लगता है क्योंकि होम लोन पर ब्याज दर अभी कई सालों के निचले स्तर पर है.

बैंक अपने RLLR पर लोन की पेशकश नहीं कर सकते हैं, लेकिन लोन अमाउंट और अन्य कारकों के आधार पर, इफेक्टिव होम लोन ब्याज दर में अंतर हो सकता है. लोन अमाउंट, प्रोफेशन, लिंग आदि के आधार पर ज्यादातर बॉरोअर्स के लिए अधिकांश बैंकों में होम लोन की ब्याज दर औसतन 7 प्रतिशत या उससे भी अधिक है. बॉरोअर्स को इस समय जिन बैंकों में सस्ता होम लोन मिल सकता है, उनमें एसबीआई, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा बैंक आदि शामिल हैं.


यहां तक कि वे बॉरोअर जो MCLR के आधार पर EMI का भुगतान कर रहे हैं, उनकी मासिक किस्तों में कुछ बदलाव हो सकता है. अगर आपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स (MCLR) के आधार पर लोन लिया है, तो MCLR में गिरावट से आपको अपने लोन पर कम EMI का भुगतान करने में मदद मिलेगी. मौजूदा बॉरोअर्स जिन्होंने 1 अक्टूबर, 2019 से पहले ही लोन ले लिया है, वे अपना लोन MCLR पर जारी रख सकते हैं या RLLR पर स्विच कर सकते हैं. MCLR लोन को RLLR में बदला जा सकता है लेकिन ऐसा करने से पहले कॉस्ट-बेनिफिट का सावधानी से मूल्यांकन करना चाहिए. स्विच करने से पहले, ब्याज दर में उतार-चढ़ाव को ठीक से समझने के लिए कुछ और महीनों तक इंतजार करना चाहिए. एक ऐसे लेंडर का चुनाव करें जो आपकी प्रोफ़ाइल के आधार पर कम ब्याज दर ऑफर करता है. यहां तक कि 100 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती से आपको लोन के बचे हुए टेन्योर के आधार पर कुछ लाख रुपये बचाने में मदद मिल सकती है

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