पर्दे के पीछे बड़ा गिरोह होने की संभावना
माना जा रहा है कि इस मामले में पर्दे के पीछे एक बड़ा गिरोह सक्रिय हो सकता है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि संबंधित गिरोह ने हिमाचल ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी उद्योगपतियों को ठगा हो सकता है, ऐसे में एसआईटी हर तथ्यों को गंभीरता से खंगाल रही है। मामले की छानबीन को लेकर सोमवार को एक टीम हरियाणा भी रवाना हो सकती है।
इसके साथ ही एसआईटी अब मुख्य आरोपी के फोन कॉल्स की डिटेल को भी खंगालेगी ताकि पता लगाया जा सके कि वह किस-किस के संपर्क में था। एसआईटी की जांच में सामने आ चुका है कि प्रदेश में कथित फर्जी आईजी बनकर आरोपी ने कालाअंब, बद्दी व नालागढ़ के साथ अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में अपने साथियों के साथ मिलकर उद्योगपतियों से 1.49 करोड़ रुपए की अवैध वसूली की। पाया गया है कि जब फर्जी आईजी औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा करता था तो हरियाणा पुलिस के वर्दीधारी और सशस्त्र पुलिस अधिकारी भी अवैध रूप से उसके साथ जाते थे।
एसआईटी में साइबर-सीआईडी के अधिकारी
डीजीपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जो एसआईटी गठित की है, उसमें सीआईडी की 3 शाखाओं के अधिकारियों को शामिल किया गया है। इसमें साइबर सैल, आर्थिक अपराध शाखा और क्राइम ब्रांच के अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि मामले से जुड़े सभी पहलुओं की पूरी बारीकी से छानबीन हो सके।
पैसे न देने पर धमकाने के आरोप
सूत्रों की मानें तो पैसे न देने की एवज में कथित आईजी उद्योगपतियों को धमकाता भी था। इसके साथ ही उद्योगपतियों के मुलाकात के दौरान वह इधर-उधर फोन भी घुमाता था ताकि उसका दवाब बना रहे, ऐसे में जब उसकी हदें बढ़ती ही जाने लगीं तो पुलिस तक शिकायतें पहुंचीं।