बिलासपुर के रिजनल अस्पताल की हालत यह हो चली है कि पिछले 10 महीनों से यहां पर एक मेडिसिन विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है यह कहना है जिला कांग्रेस सेवादल के महामंत्री संदीप सांख्यान का। सदर विधानसभा क्षेत्र के अधीन आने वाले रीज़नल अस्पताल की हालात एक रेफरल अस्पताल से ज्यादा कुछ नहीं है, जबकि दावा 270 बेड से 300 बेड अस्पताल बनाने का किया जा रहा है।
मेडिसिन चिकित्सक जिला अस्पताल बिलासपुर में न होना इसके लिए सदर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और मुख्यमंत्री जी के ओ.एस.डी सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। जिम्मेदारी तो उनकी भी रिजनल अस्पताल में मेडिसिन विशेषज्ञ चिकित्सक की उतनी ही बनती जितनी की सदर विधानसभा क्षेत्र के विधायक की बनती है। वैसे यदि तथ्यों पर आधारित बात की जाए तो सदर विधायक जी के पुश्तैनी घर और मुख्यमंत्री जी के ओ.एस.डी. के घरों को जाने वाली सड़को की हालत भी ऐसी हो चुकी है कि यहाँ पर चलने वाली गाड़ियों के कलपुर्जे कभी भी इन सड़को पर बिखर सकते है।
अगर ओएसडी साहब की बात करे तो अखबारों में बयान कांग्रेस के बड़े नेताओं के खिलाफ ऐसे देते है जैसे कांग्रेस के यह नेता विपक्ष में न होकर सत्ता पक्ष के हों, लेकिन अब इन दोनों का सदर विधानसभा क्षेत्र के विकास को लेकर इनका निठल्लापन अब जग जाहिर होने लग गया है। यदि अब भी यह दोनों बड़े नेता रिजनल अस्पताल बिलासपुर में मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर को लाने में असफल रहे हैं तो मैं उनसे अनुरोध करता हूँ क्यों न आप दोनों मुख्यमंत्री कार्यलय के आगे अनशन पर बैठ जाते है या अपने निकम्मेपन के लिए बिलासपुर की जनता से माफी मांगते हैं।
अगर शीघ्र ही बिलासपुर अस्पताल में हालात दुरुस्त नहीं किए गए तो कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता आपके निकम्मेपन पर आक्रोश बताने सड़कों पर उतर जाएगा। अतः या तो मेडिसीन विशेषज्ञ चिकित्सक को बिलासपुर अस्पताल में लाओ या फिर मुख्यमंत्री कार्यलय के आगे अनशन पर बैठो तभी बिलासपुर की जनता को आपका नेतृत्व स्वीकार्य होगा अन्यथा आपका नेतृत्व और प्रदेश सरकार दोनों असफल मानी जायेगी।
पिछले कल एक वरिष्ठ नागरिक को हार्ट प्रॉब्लम की वजह से जब रिजनल अस्पताल बिलासपुर में लाया गया तो सभी मौजूद चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए और कहने लगे कि यदि मरीज के परिजन कहें तो हम इनको आई.जी.एम. सी. शिमला या पी. जी. आई. चंडीगढ़ रेफर कर देते है लेकिन इस मरीज की हार्ट की बीमारी की संवेदनशीलता को देखते हुए हम कोई दवाई नहीं दे सकते है। यह तो एक वाकया है लेकिन गौर करने योग्य बात यह है कि पिछले 10 महीनों में बिना मेडिसिन विशेषज्ञ के कितने ऐसे वाक्य इस अस्पताल में हुए हैं तो उनके आंकड़े उठा कर देख लेते तो ज्यादा बढ़िया होता।