लखवाण निवासी महंगरी देवी के चार बेटों में नंद लाल, दीप चंद, भादर सिंह, ज्ञान चंद है जिनमें भादर सिंह और ज्ञान चंद की सड़क हादसे में मौत हो गई। भादर सिंह 39 वर्ष की पोस्टिंग्स आजकल झाँसी में हुई थी। भादर सिंह भी दो दिन पहले ही एक महीने की छुट्टी लेकर आया था। भादर सिंह भारतीय सेना में स्पेशल टास्क फोर्स में तैनात थे। भादर सिंह 7 जेक राइफल में भर्ती हुए थे 19 वर्ष से सेना में थे।
भादर सिंह अपने पीछे दो बेटियां अनन्या पहली कक्षा में और बड़ी बेटी आकांक्षा चौथी कक्षा में पढ़ती है, पत्नी रीना को रोते बिलखते छोड़ गए है। वहीं दूसरी और छोटा भाई ज्ञान चंद जोकि एक क्षेत्र का सबसे बढ़िया बेल्डर माना जाता था, लोग ज्ञान चंद को अपने घरों की छतों को बनाने के लिये एडवांस बुकिंग करवा लेते थे, वो भी अपने पीछे दो छोटे बेटे एक पहली कक्षा और तीसरी कक्षा में पढ़ता है और पत्नी गोली देवी उर्फ सनिश्चरी देवी को छोड़ गए है।
भादर सिंह अपने पीछे दो बेटियां अनन्या पहली कक्षा में और बड़ी बेटी आकांक्षा चौथी कक्षा में पढ़ती है, पत्नी रीना को रोते बिलखते छोड़ गए है। वहीं दूसरी और छोटा भाई ज्ञान चंद जोकि एक क्षेत्र का सबसे बढ़िया बेल्डर माना जाता था, लोग ज्ञान चंद को अपने घरों की छतों को बनाने के लिये एडवांस बुकिंग करवा लेते थे, वो भी अपने पीछे दो छोटे बेटे एक पहली कक्षा और तीसरी कक्षा में पढ़ता है और पत्नी गोली देवी उर्फ सनिश्चरी देवी को छोड़ गए है।
जिल्हन गांव के ही घाट पर दोनों भाइयों की एक साथ चिता जली। पालमपुर योल कैम्प से आए सेना के जवानों ने तिरंगे में लपेट कर अपने सैनिक को विदाई दी, उस समय सभी के आँखों से आँसू निकल रहे थे।