शिमला: प्रदेश सरकार बोर्डों और निगमों में लगे आऊटसोर्स कर्मचारियों को राहत देने के लिए नीति का निर्धारण कर सकती है। इस संबंध में सरकार ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। इसी कड़ी में सभी निगमों और बोर्डों को 1 सप्ताह के भीतर कार्यरत आऊटसोर्स कर्मचारियों का पूरा रिकॅार्ड भेजने को कहा है। इसके साथ ही है नियुक्ति से संबंधित एमओयू, एग्रीमैंट की कॉपी भी साथ में संलगन करके भेजने को कहा गया है।
यहां बता दें कि निगमों, बोर्डों में लगे सैंकड़ों कर्मचारी सरकार से कई बार अपने लिए अलग से नीति निर्धारण की मांग कर चुके हैं लेकिन कई अड़चनें बीच में आ रही हैं,ऐसे में सरकार हर पहलू को गंभीरता से खंगाल रही है। देखा जाए तो कंपनी द्वारा रखे गए आऊटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति आर एंड पी नियमों के तहत नहीं की गई है।
कर्मचारी कई बार सरकार से कंपनी द्वारा किए जा रहे शोषण और वेतन को समय पर जारी न किए जाने की शिकायत भी कर चुके हैं, ऐसे में सरकार ने इन्हें राहत देने के लिए नीति निर्धारण की योजना तैयार की है, जिस पर सरकार की ओर से इस पर काम शुरू हो गया है।
हालांकि सरकार के इस निर्णय को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ कर भी देखा जा रहा है क्योंकि चुनाव में कर्मचारी किसी भी सरकार के लिए बड़ा वोट बैंक होता है और इस वोट बैंक को खुश करने के लिए सरकार ने इनके लिए पॉलिसी बनाने की योजना तैयार करने में जुट गई। ये प्रयास पूर्व कांग्रेस सरकार में भी हुए थे लेकिन सार्थक परिणाम सामने नहीं आ पाए, ऐसे में देखना होगा कि सरकार की इस कसरत के क्या परिणाम सामने आते हैं।
प्रदेश मंत्रिमंडल ने निगमों और बोर्डों में आऊटसोर्स पर लगे कर्मचारियों के लिए नीति निर्धारण को लेकर जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में एक सब कमेटी गठित की है। गठित कमेटी ने ही सभी निगमों और बोर्डों से आऊटसोर्स के साथ ही राज्य सरकार से अनुमोदित कंपनी के माध्यम से रखे सभी कर्मचारियों का रिकाॅर्ड मांगा है।