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Electricity Board : तबादले करवाने वाली कर्मचारी यूनियनों को चेतावनी-बिजली बोर्ड के केस में हाई कोर्ट ने कहा- अयोग्य घोषित कर देंगे :Read Full News...

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प्रदेश उच्च न्यायालय ने विद्युत बोर्ड के कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की सिफारिश पर किए जा रहे तबादला आदेश को गैर कानूनी बताते हुए कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्तिगत कर्मचारी, अधिकारी या मान्यता प्राप्त अथवा गैर-मान्यता प्राप्त संघ का पदाधिकारी किसी भी जबरदस्ती या डराने-धमकाने या अनुशासनहीन कृत्यों या व्यवहार में लिप्त होता है, तो नियोक्ता उसके खिलाफ हमेशा कानूनी तौर पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होता है। 

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि बोर्ड, निगम या कोई अन्य संस्थान, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 और 226 के तहत राज्य की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं, किसी भी व्यक्ति विशेष अथवा संघ या संगठन द्वारा की गई सिफारिशों पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए बाध्य नही है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आइंदा कर्मचारी संघ या यूनियन की सिफारिश संबंधी मामला कोर्ट के समक्ष आता है जिसमें कर्मचारी की सहमति न हो तो संघ या यूनियन को अन्य कार्रवाई के अलावा अयोग्य ठहरा दिया जाएगा। कोर्ट ने आदेश दिए कि कोर्ट की रजिस्ट्री इस आदेश की प्रति हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को सरकार के सभी विभागों, सभी बोर्डों, निगमों आदि को निर्देश जारी करने के लिए भेजें। 


न्यायालय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सुशील कुमार के मामले में दिए गए निर्णय का कर्मचारी संघों या यूनियनों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि वे खुले तौर पर गैर-सहमति तबादले के लिए सिफारिशें करना जारी रखे हुए हैं, जैसा कि उक्त मामले के तथ्यों से स्पष्ट है। न्यायालय ने हालांकि समय से पहले दायर उक्त याचिका को खारिज कर दिया।

विधायक की सिफारिश, तबादला रद्द

हाई कोर्ट ने झंडूता विधानसभा क्षेत्र के विधायक जीतराम कटवाल की सिफारिश पर आधारित तबादला आदेश को गलत ठहराया। कोर्ट ने दसलेहड़ा स्कूल में तैनात टीजीटी प्रोमिला के तबादला आदेशों को रद्द कर दिया है। प्रार्थी के अनुसार विधायक सिफारिश को आधार बनाकर निजी प्रतिवादी को एडजस्ट करने के उद्देश्य से उसे मौजूदा स्थान से राजकीय उच्च पाठशाला कुनेड़ जिला चंबा भेजा जा रहा है। 


न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पाया कि स्थानांतरण आदेश विधायक द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर किया गया है, जबकि हाई कोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में पारित निर्णयों के दृष्टिगत डीओ नोट के आधार पर जारी स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं है। प्रार्थी का यह भी आरोप था कि उसका तबादला सरकार द्वारा स्थानांतरणों पर बैन लगाने के बावजूद किया गया है। न्यायालय ने स्थानांतरण आदेशों को कानून के विपरीत ठहराते हुए रद्द कर दिया।

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