यानी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए छह महीने और इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि, इमरान सरकार के लिए राहत की बात सिर्फ इतनी है कि उसे ग्रे से ब्लैक लिस्ट में डाले जाने की आशंका कम ही है। इसका मतलब यह हुआ कि एफएटीएफ पाकिस्तान की इमरान सरकार को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का एक मौका और देने जा रहा है। पाकिस्तान सरकार पर दुनिया के तमाम संगठन दबाव डाल रहे हैं कि वह तमाम आतंकी संगठनों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई करे और फिर इसके सबूत भी पेश करे।
एक हफ्ते में दुश्मन देश को लगा दूसरा झटका
सिर्फ दो दिन पहले आईएमएफ ने साफ कर दिया था कि अगर पाकिस्तान उसकी शर्तें पूरी नहीं करता है, तो उसे छह बिलियन डॉलर का लोन नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं आईएमएफ ने पाकिस्तान को इस लोन की पहली किश्त तक देने से इनकार कर दिया था। अब एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकाला जाएगा।
ग्रे लिस्ट में होने का यह होगा नुकसान
इस लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फायनांसिंग और मनी लांड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है। ग्रे लिस्ट वाले देशों को किसी भी इंटरनेशनल मॉनेटरी बॉडी या देश से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है। ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं। ट्रेड में भी दिक्कत होती है।