राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के कार्यक्रमों का आयोजन कांग्रेस(Congress Party) पार्टी के नेताओं ने ही किया था। टिकैत कांग्रेस पार्टी का बैसाखी बना हुआ। ऐसे में विक्रमादित्य सिंह का टिकैत पर हमला बोलना सायद पार्टी आलाकमान को रास नहीं आया और अब विक्रमादित्य डैमेज कंट्रोल का प्रयास कर रहे हैं।
विक्रमादित्य ने अपने बयान से पलटते हुए कहा कि उन्हें टिकैत के हिमाचल(Himachal) आने से कोई दिक्कत नहीं है। बल्कि उन्हें अभद्र भाषा के प्रयोग से आपत्ति है। नेता हो या आम आदमी उसे संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
बता दें कि इससे पूर्व विक्रमादित्य ने कहा था कि हिमाचल प्रदेश को टिकैत जैसे अराजक लोगों की जरूरत नहीं है। ऐसे लोग अपने राज्य में जाकर अराजकता फैलाएं। हिमाचल के किसान-बागवान के साथ हम खड़े हैं।
विक्रमादित्य के इस बयान के ठीक बाद कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने बयान जारी कर कहा कि राकेश टिकैत का हिमाचल प्रदेश में स्वागत(Welcome) है। स्पष्ट है प्रदेश अध्यक्ष का यह बयान विक्रमादित्य के लिए मैसेज था कि पार्टी के नए बैसाखी के विरोध में वह बयानबाजी नहीं करें।
विक्रमादित्य और कुलदीप राठौर के बयानों के बीच का यह विवाद जहां एक तरफ कांग्रेस पार्टी के बीच बढ़ती गुटबाजी का उदाहरण है। वहीं, यह भी साफ करता है कि विक्रमादित्य सिंह का पार्टी लाइन से विपरीत चलना शीर्ष नेताओं को रास नहीं आ रहा है।
गौरतलब है कि पूर्व में भी विक्रमादित्य कई बार जयराम सरकार (Jairam Govt) के फैसलों का समर्थन कर कांग्रेस नेताओं के आंख का कांटा बन चुके हैं। आलाकमान से आदेश मिलने के बाद अपने बयान का डैमेज कंट्रोल भी करते हैं। सही को सही और गलत को डंके की चोट पर गलत कहने की राजनीति विक्रमादित्य करना चाहते हैं जो पार्टी के नेताओं को खटक रहा है।