Himachal: Ex CM Shanta Kumar- जिन नेताओं पर हत्या, लूट और रेप के आरोप, उन्हें टिकट देती हैं पार्टियां - Read Full News

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धर्मशाला:  राजनीति (Politics) से सन्यास ले चुके हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (Ex. CM ) और भाजपा के नेता शांता कुमार लगातार तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखते रहते हैं. अब भाजपा के वरिष्ठ और बायोवृद्ध नेता शान्ता कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि देश में ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बची है, जो यही मायनों में अपराधिकरण को रोकना चाहती हो. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कई दिनों से यह कोशिश कर रहा है कि गंभीर अपराध के आरोपियों को चुनाव न लड़ने दिये जाएं. सब पार्टियां सहमत हों और कानून बनाएं मगर कोई भी पार्टी ऐसी नहीं है जो इस पर अपनी सहमति ज़ाहिर करती हो. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

शान्ता कुमार ने कहा कि जिन नेताओं पर डकैती, हत्या, लूट और बलात्कार जैसे गम्भीर आरोप लगे होते हैं पार्टियां उनको भी टिकट देती हैं और चुनाव जीत कर ऐसे लीग विधान सभा और संसद तक पहुंच जाते हैं. शायद यही वजह है कि आज देश-समाज और राजनीतिक क्षेत्र में अपराधियों की संख्या बढ़ रही है और भ्रष्टाचार (Curruption) भी बढ़ रहा है. आम आदमी को कहीं न्याय नहीं मिल रहा है. इस दौरान शांता कुमार ने बेहद विचलित भरे शब्दों में कहा कि दीन दयाल उपाध्याय और अटल जी कहा करते थे कि छल-कपट और दल-बदल से सरकारें तो बदल सकती है, परन्तु समाज बदलने के लिए मूल्य आधारित राजनीति चाहिए. आज उनकी बात भाजपा भी नहीं मान रही।

शांता कुमार (Shanta Kumar)ने कहा कि यही कारण है कि आज़ादी के 74 वर्ष पूरे करने के बाद भी ट्रांसपेरेंसी इन्टरनैशनल की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में शामिल है और ग्लोबल हंगर इन्डैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया के सबसे गरीब 120 देशों की सूची में नीचे 117 पायदान पर है. 19 करोड़ लोग लगभग भूखे पेट सोते हैं. आज भी अति गरीब घरों की बेटियां खरीदी और बेची जाती हैं. उन्होंने कहा कि इस सबके बाद भी सर्वोच्च न्यायालय की सलाह मान कर राजनीति में अपराधिकरण समाप्त करने को राजनीतिक दल तैयार नही. आज की कठोर सच्चाई यह है कि पार्टियां वोट के लिए जी रही है, देश के लिए नहीं. शांता कुमार ने कहा कि आज महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय आ जाएं तो सिर पटक-पटक और आंसू बहा कर इस धरा को छोड़ कर ही भाग जाएंगे. मेरी पार्टी भी सर्वोच्च न्यायालय की सलाह मानने को तैयार नहीं, यह सोच कर मुझे भी शर्म आ रही है।

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