Chhatisgarh : High Court Decision: पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं -2017 के मामले में दिया फैसला : Read Full News

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhatisgarh High Court)ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी 37 वर्षीय व्यक्ति को बरी करने का आदेश दिया। यह मामला आरोपी की पत्नी ने दर्ज कराया था। अदालत ने कहा कि कानूनी रूप से वैध पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं है, भले ही यह जबरन या पत्नी की मर्जी के खिलाफ किया गया हो। 
हालांकि, अदालत ने उस व्यक्ति को कोई राहत नहीं दी जिसके खिलाफ आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

आरोपी के वकील वाई सी शर्मा ने गुरुवार को बताया कि न्यायाधीश एनके चंद्रवंशी ने इस मामले में आरोपी व्यक्ति और उसके दो परिजनों की ओर से दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर 23 अगस्त को दिए गए अपने फैसले में उसके खिलाफ लगाए गए दुष्कर्म और अन्य आरोप खारिज कर दिए। 
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने इस मामले में 13 अगस्त को सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने 23 अगस्त को फैसला सुनाया। 

आदेश के अनुसार, पीड़िता ने व्यक्ति से 2017 में शादी की थी। इसके कुछ दिन बाद महिला के पति और उसके दो परिजनों ने दहेज के लिए उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। महिला ने बाद में बेमतारा पुलिस थाने में इसे लेकर तीनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। 
जांच के बाद तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 498-ए (दहेज उत्पीड़न), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 376 (दुष्कर्म) और धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि दोनों पक्षों के वकीलों को सुनवाई का मौका देने के बाद निचली अदालत ने इन धाराओं के तहत आवेदकों के खिलाफ आरोप तय किए थे। 
इसके बाद तीनों ने हाईकोर्ट की शरण लीथी और मांग की थी कि निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए आरोपों से मुक्ति दी जाए। अदालत ने कहा कि आरोपी ने महिला से कानून शादी की है। भारत में वैवाहिक दुष्कर्म को मान्यता नहीं है और फिलहाल यह अपराध भी नहीं है। 

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