सीईसी द्वारा की जा रही देरी को देख ऐसा लग रहा है कि मानो फतेहपुर विधानसभा हलके के उपचुनाव तय अवधि में नहीं हो पाएंगे। फतेहपुर से विधायक सुजान सिंह पठानिया का निधन इसी साल 12 फरवरी को हुआ। कायदे से 6 महीने के भीतर उपचुनाव करवाने होते हैं। चुनाव के लिए करीब एक महीने का नोटिस देना होता है। इस दौरान चुनाव की तैयारियां, नामांकन, छंटनी, वापसी प्रक्रिया, मतदाता सूची तैयार करने जैसे काम किए जाते हैं। इससे फतेहपुर में 12 अगस्त तक नए विधायक का चयन मुश्किल नजर आ रहा है।
मंडी सीट सांसद रामस्वरूप शर्मा के 17 मार्च को निधन के बाद से खाली है। यहां भी सितम्बर तक चुनाव करवाने होंगे। जुब्बल-कोटखाई सीट सरकार में मुख्य सचेतक एवं विधायक नरेंद्र बरागटा के जून में निधन के बाद और अर्की सीट अब वीरभद्र सिंह के निधन के बाद खाली हो गई है। लिहाजा इन सीटों पर उपचुनाव की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन जिस तरह की देरी चुनाव की तारीखों के ऐलान में हो रही है, उससे ऐसा लग रहा है कि राज्य में उपचुनाव कोरोना की संभावित तीसरी लहर के बीच होंगे।
राज्य में जून के पहले सप्ताह में ही कोरोना के मामलों में कमी आना शुरू हो गई थी। जुलाई में अब कोरोना से स्थिति और भी बेहतर हो गई है। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कोरोना की तीसरी लहर से पहले राज्य में उपचुनाव करवा दिए जाएंगे। हिमाचल के साथ देश के सात अन्य प्रदेशों में भी उपचुनाव तय हैं। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए सीईसी इन उपचुनाव को बीते 5 मई को स्थगित कर चुका है।