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शिमला, 14 मई। हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के ढाई साल पूरे होते ही कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं। लंबे समय से खाली पड़े एक मंत्री पद को भरने के लिए लॉबिंग चरम पर है। मगर अभी तक कोई एक नाम सामने नहीं आया है। हालांकि चर्चा में कई नाम है जिनके मंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई है।
ये नाम दौड़ में शामिल
बताते चलें कि इस दौड़ में सुंदर सिंह ठाकुर, कुलदीप पठानिया, संजय रत्न और आशीष बुटेल के नाम सबसे आगे हैं। वहीं कैबिनेट से एक-दो मंत्रियों को बाहर किए जाने की अटकलें भी गर्म हैं। इस पूरे घटनाक्रम का अंतिम फैसला राहुल गांधी के स्तर पर होना है। सूत्रों के अनुसार राहुल इस हफ्ते दिल्ली में हिमाचल कांग्रेस के नेताओं की बैठक बुला सकते हैं। इसी में तय होगा कि अगला मंत्री कौन बनेगा और किसे बाहर किया जाएगा।
मंडी को प्रतिनिधित्व मिलने की सबसे ज्यादा संभावना
वर्तमान में सुक्खू मंत्रिमंडल में मंडी संसदीय क्षेत्र से कोई भी मंत्री नहीं है। जगत सिंह नेगी भले ही मंत्री हैं, लेकिन वह जनजातीय कोटे से आते हैं। ऐसे में कुल्लू से विधायक सुंदर सिंह ठाकुर की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए मंडी क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देना अब सियासी जरूरत बन चुका है।
पठानिया को मिल सकता है सरकार बचाने का इनाम
राज्यसभा चुनावों के दौरान सियासी उठापटक में संयम और समझदारी से भूमिका निभाने वाले विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। पठानिया चंबा जिले के भटियात से पांचवीं बार विधायक हैं। यदि वे मंत्री बनाए गए तो संजय रत्न को स्पीकर बनाया जा सकता है।
धनीराम शांडिल को मिल सकता है आराम
माना जा रहा है कि वरिष्ठ मंत्री धनीराम शांडिल को कैबिनेट से हटाया जा सकता है। उनके बेटे को किसी बोर्ड या निगम में जिम्मेदारी दी जा सकती है। ऐसे में उनके स्थान पर कांगड़ा से किसी को मौका मिलने की संभावना है।
कांगड़ा को मिल सकता है तीसरा मंत्री
15 विधानसभा सीटों वाले कांगड़ा जिले से वर्तमान में दो मंत्री हैं। पूर्व की सरकारों की तरह इस बार भी कांगड़ा को तीसरा मंत्री मिल सकता है। अगर पठानिया मंत्री नहीं बने तो फिर आशीष बुटेल की दावेदारी मजबूत होगी।
शिमला संसदीय क्षेत्र से पहले ही हैं 5 मंत्री
सीएम सुक्खू के करीबी माने जाने वाले संजय अवस्थी का नाम भी चर्चा में है, लेकिन शिमला संसदीय क्षेत्र से पहले ही पांच मंत्री होने के कारण उनके लिए समीकरण फिलहाल अनुकूल नहीं हैं।यदि किसी मंत्री को बाहर किया गया तो विभागों के पुनर्गठन की भी संभावना है। कमजोर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों से विभाग लेकर उन्हें नए चेहरों को सौंपा जा सकता है।
दिल्ली बैठक पर सबकी नजरें
हिमाचल कांग्रेस में फिलहाल गुटबाजी और आंतरिक टकराव का माहौल है। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति और मंत्रियों के बीच सोशल मीडिया पोस्ट की जंग ने आलाकमान को चौकन्ना कर दिया है। 8 मई को प्रस्तावित बैठक भारत-पाक तनाव के कारण टल गई थी। अब इस हफ्ते दिल्ली में राहुल गांधी हिमाचल कांग्रेस नेताओं से मिलकर बड़ा फैसला ले सकते हैं।