हिमाचल : वीरभद्र सिंह जर्रे - जर्रे पर अपनी छाप छोड़ गए - राजेंद्र राणा

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हमीरपुर : सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सहज प्रवृति, ईमानदार छवि व उनके अपनेपन के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक मुरीद थे। प्रदेश-देश से उन्हें अंतिम विदाई देने हजारों की संख्या में पहुंचे बच्चे, युवा, महिलाएं-पुरूष व बुजुर्ग जिस तरह से भावुक हुए, वो एतिहासिक बन गया। उन्होंने कहा कि राजसी ठाठ-बाट छोड़कर 60 सालों तक निरंतर उन्होंने दिन-रात 6 बार मुख्यमंत्री, 5 बार सांसद बनकर एक फकीर की तरह जनसेवा कर सफर तय किया, वे देश के इतिहास के पन्नों में हमेशा दर्ज रहेगा, क्योंकि ऐसा कोई नेता नहीं है जो निरंतर जीतकर लोगों की सेवा करता रहा हो। जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि वो हमेशा कर्मप्रधान बनने की प्रेरणा देते थे, जिस पर वह सारी उम्र चलते रहने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि दयालू प्रवृति के वीरभद्र सिंह गरीब के दर्द को देखकर तड़प उठते थे। मां भीमाकाली से भी वीरभद्र सिंह अपनी जगह जनता की मंगलकामना मांगते थे। ऐसे नेता नसीब से ही मिलते हैं, जोकि हर समय अपनी आवाम के बारे में सोचता रहे। हिमाचल के जर्रे-जर्रे में वीरभद्र सिंह अपनी अमिट छाप छोड़ गए हैं। 


प्रदेश के हर स्कूल, सड़क, अस्पताल, सरकारी भवनों व हर पंचायत में उनका नाम है तथा हर जगह उनका मुस्कुराता चेहरा विचरण करता रहेगा। उनके योगदान को इतिहास से कभी मिटाया नहीं जा सकता है। आधुनिक हिमाचल का निर्माता होने का गौरव उन्हें सदैव रहेगा। देवी-देवताओं में अटूट आस्था, प्रदेश से लगाव व अपनी संस्कृति के प्रति उनका प्रेम अद्भुत था। राजसी परिवार का होने के बावजूद उन्होंने शाही पगड़ी की जगह हिमाचली बुशैहरी टोपी को दुनिया में अलग पहचान दिलाई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी हर व्यक्ति से आम इंसान बनकर उनकी समस्याएं जानते-सुनते थे। विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि जितना भी समय वीरभद्र सिंह के साथ बिताया, हर वक्त कुछ न कुछ सीखने को ही मिलता रहा। अब प्रयास रहेगा कि भविष्य में उनके दिखाए जन सेवा के मार्ग पर चलते रहें तथा जनता के दुख-दर्द को बांट सकें।  

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