इस अवधि में चार्जशीट ना करने पर निलंबन वापस हो जाता है। नियमों के अनुसार अगर प्रदेश सरकार, केंद्र को जानकारी भेजती है और गृह मंत्रालय निलंबन को कन्फर्म करता है तो इस मियाद के बाद भी आरोपी अधिकारी ना सिर्फ निलंबित रह सकता है बल्कि सरकार पर भी 45 दिन में चार्जशीट देने की बाध्यता नहीं रहती। अब इस मामले में प्रदेश सरकार के स्तर पर यह पेच फंसा है कि अगर आईपीएस गौरव सिंह का निलंबन जारी रहता है तो सीएम जयराम ठाकुर के तत्कालीन पीएसओ बलवंत सिंह पर अफसर को लात मारने के आरोप पर भी कार्रवाई करने का दबाव बढ़ जाएगा। फिलहाल सरकार ने कागजी कार्रवाई के तौर पर गौरव के निलंबन की जानकारी केंद्र को भेज दी है।
याद रहे कि कुल्लू में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के दौरे के दौरान तत्कालीन एसपी गौरव सिंह ने एडिशनल एसपी सीएम सुरक्षा बृजेश सूद को थप्पड़ मार दिया था। जवाब में सीएम के तत्कालीन पीएसओ बलवंत सिंह ने आईपीएस गौरव सिंह को लातें मारी थीं। इस घटनाक्रम का वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने गौरव और बलवंत को निलंबित कर दिया है। जबकि बृजेश सूद को पुनः सीएम की सुरक्षा में तैनात कर दिया गया है।