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हिमाचल प्रदेश: बिलासपुर में बनेगा म्यूजियम ऑफ महाशक्तिपीठ, तैयारियां शुरू - पढ़ें पूरी खबर

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बिलासपुर : विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का एक बेहतर म्यूजियम तैयार किया जा रहा है, इस म्यूजियम ऑफ महा शक्तिपीठ के नाम से जाना जाएगा। म्यूजियम लेकर कई दिनों से प्रक्रिया आरंभ की गई है और आज उस प्रक्रिया के तहत चंडीगढ़ से डायरेक्टर म्यूजियम एंड आर्ट गैलेरी चंडीगढ़ डॉक्टर पीसी शर्मा श्री नैना देवी मंदिर पहुंचे और क्षेत्र का निरीक्षण किया। उनके साथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष सुभाष गौतम भी मौजूद थे। पीसी शर्मा ने माता जी के दर्शन भी किए और माताजी का शुभ आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर न्यास की तरफ से मंदिर न्यास के अध्यक्ष सुभाष गौतम ने उन्हें माता की चुनरी और फोटो देकर सम्मानित किया गया। डायरेक्टर म्यूजियम एंड आर्ट चंडीगढ़ पीसी शर्मा ने बताया कि श्री नैना देवी में शक्ति पीठ पर बनने वाला म्यूजियम प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे देश का पहला म्यूजियम होगा और इसे म्यूजियम ऑफ महाशक्ति पीठ के नाम से जाना जाएगा। 

उन्होंने कहा कि इसके बनने से मंदिर के इतिहास के बारे में और यहां के प्राचीन मूर्तियों के बारे में लोगों को पता चलेगा इसके अलावा शोधकर्ता भी इस तरह के प्रोजेक्टर की आस लगाए बैठे हैं ताकि वह मंदिरों के बारे में और ज्यादा शोध कर सकें। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को जल्द निर्माण हेतु आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि जिलाधीश बिलासपुर पंकज राय और मंदिर न्यास के अध्यक्ष सुभाष गौतम जिस तरह से इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखा रहे हैं उसे निश्चित रूप में यह प्रोजेक्ट जल्द बनकर तैयार होगा ऐसी उनको आशा है। उन्होंने कहा कि इस म्यूजियम प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए भिन्न प्रकार के आईडिया लोगों से भी ले जाएंगे ताकि म्यूजियम एक बढ़िया रूप में बनकर सामने आए और यह एक हिस्टोरिकल हेरीटेज प्रोजेक्ट ऑफ इंडिया बनकर तैयार होगा। जिसमें 7 सेक्शन होंगे जिनमें सबसे महत्वपूर्ण और जिसमें हिस्ट्री ऑफ शक्ति पीठ आर्किटेक्ट हेरिटेज जिसमें ओल्ड स्ट्रक्चर जो हमारे मंदिरों में बने हैं उसके बारे में व्यापक जानकारी होगी। इसके अलावा महत्वपूर्ण जियो हेरिटेज जिसके माध्यम से मंदिर की मूर्तियां, किस शैली में इनका निर्माण हुआ है, कौन से स्टोन से बनी है इसके बारे में जानकारी मुहैया करवाई जाएगी। इसके अलावा किन कारीगरों ने बनाई है उसका भी ब्यौरा इसमें दिया जाएगा, ताकि उन कारीगरों को भी या उनके परिवारों को भी प्रमोट किया जाएगा जिन्होंने मूर्तियों का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा स्थानीय लोग है, पुजारी वर्ग हैं या स्थानीय लोग जिनके पास जो भी प्राचीन मंदिरों से जुड़ी ऐतिहासिक वस्तुएं हैं उन्हें भी संग्रहालय में रखा जाएगा। इसके अलावा माताजी के इतिहास के बारे में संस्कृत, हिंदी या पंजाबी में जो भी संरचनाएं की गई है उन सबको इकट्ठा करके यहां पर प्रदर्शित किया जाएगा ताकि शोधकर्ता इसमें विदेशों से भी शोधकर्ता इसमें शोध कर सके और यहां पर लोगों को मंदिर महा शक्तिपीठों के बारे में व्यापक जानकारी मिल सके। इस मौके पर उनके साथ मंदिर न्यास के सहायक अभियंता प्रेम शर्मा संस्कृत कॉलेज के पिं्रसिपल डॉक्टर नरोत्तम शर्मा और मंदिर न्यासी भी मौजूद थे।

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