एन जी टी का पैनल अवैध खनन की शिकायतों की जांच करने पहुंचा

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ऊना :  जिला में लगातार तूल पकड़ता अवैध खनन का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दरवाजे तक जा पहुंचा है। जिला से शिकायतकर्ता अमनदीप द्वारा एनजीटी को अवैध खनन और इसके कारण करोड़ो की स्वां नदी तटबांध परियोजना के नुक्सान होने के मुद्दे पर सौंपी गई शिकायत की जांच के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस जसवीर सिंह की अगुवाई में पैनल का गठन किया था। वीरवार को एनजीटी का यह पैनल जांच के लिए सुबह सवेरे ऊना पहुंच गया। जिसके बाद प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साथ उपायुक्त ऊना, पुलिस अधीक्षक ऊना समेत खनन विभाग के अधिकारी और तमाम अन्य विभागों के अधिकारी भी पैनल के साथ जांच के लिए मौके पर पहुंचे। इस मौके पर शिकायतकर्ता अमनदीप ने कहा कि अवैज्ञानिक तरीके से किए जा रहे अवैध खनन से प्राकृतिक संपदाओं को व्यापक नुकसान पहुंच रहा है। इतना ही नहीं इसके कारण सोमभद्रा नदी पर करोड़ो पर खर्च कर लगाए तटबांधों नुक्सान हो रहा है। वहीं, स्वां नदी के किनारे कृषि कारोबार के लिए लगाए गए नलकूपों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। अमनदीप सिंह ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को शिकायत सौंपी थी जिसकी जांच के लिए एनजीटी पैनल जिला में पहुंचा है। पैनल को वह सभी साइट्स दिखाई गई है जहां से अवैध खनन कर स्वां नदी को नुकसान पहुंचाया गया है।
वहीं, एनजीटी द्वारा गठित किये गए पैनल अध्यक्षता कर रहे पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जसबीर सिंह ने कहा कि एनजीटी के पैनल ने अवैध खनन को लेकर जांच की है, जिसकी रिपोर्ट जल्द नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में पहले भी जिला प्रशासन द्वारा रिपोर्ट दी गई है। जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक ऊना ने भी रिपोर्ट में कहा था कि यहां अवैध खनन किया जा रहा है। नदी के बीचों-बीच कुछ ऐसा क्षेत्र भी है जहां खनन के लिए लीज नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी वहां पर काफी गहरी खुदाई करके अवैध खनन किया गया है, जो नहीं होना चाहिए था। यहां तक कि जिस क्षेत्र में खनन को लीज दी गई है वहां पर भी नियमों का उल्लंघन किया गया है। पूर्व जस्टिस जसवीर सिंह ने कहा कि पैनल ने आज तमाम क्षेत्रों का दौरा किया है जिसकी रिपोर्ट जल्द नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा कि  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का मानना है कि नियमों के तहत खनन किया जा सकता है। यदि खनन के लिए गाइडलाइंस की अवहेलना की जाती है तो उस पर निश्चित रूप से कार्रवाई संभव है।

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