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शिमला, 12 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर जहां अपनी उपलब्धियों का डंका बजा रही है- वहीं दूसरी ओर आम जनता को एक बड़ा झटका दिया है। सरकार ने राशन डिपुओं में दालों के दाम बढ़ाकर लोगों की जेब पर सीधा भार डाल दिया है।
सुक्खू सरकार ने दिया महंगाई का तोहफा
सरकार के तीन साल पूरे होने पर बड़े-बड़े कार्यक्रम, घोषणाएं और उपलब्धियों की सूची पेश की गई, लेकिन उसी बीच डिपो उपभोक्ताओं को महंगाई का खास तोहफा मिला। राशन डिपुओं पर मिलने वाली कई दालों के दाम बढ़ा दिए गए हैं।
दालों के बढ़े दाम
इस फैसले का सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा। यह नई दरें कुछ ही दिनों में डिपुओं में लागू हो जाएंगी। राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने चना दाल समेत तीन दालों के लिए नया सप्लाई ऑर्डर जारी कर दिया है।
दालों के दाम
BPL
चना दाल- 72 रुपये किलो मिलती थी, अब 68 रुपये किलो मिलेगी
मलका-66 रुपये किलो
उड़द दाल- 76 रुपये किलो मिलती थी, अब 78 रुपये किलो मिलेगी
APL
चना दाल- 77 रुपये किलो मिलती थी, अब 73 रुपये किलो मिलेगी
मलका- 71 रुपये किलो
उड़द दाल- 81 रुपये किलो मिलती थी, अब 83 रुपये किलो मिलेगी
रीब दालों का नया सप्लाई ऑर्डर
राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने दालों के सुचारू वितरण के लिए कुल 1,09,000 क्विंटल के आसपास सप्लाई ऑर्डर जारी किया है। इसमें-
चना दाल: 38,900 क्विंटल
मलका दाल: 36,000 क्विंटल
उड़द दाल: 36,000 क्विंटल
डिपुओं में जल्द पहुंचेगा नया स्टॉक
राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के महाप्रबंधक अरविंद शर्मा ने बताया कि सप्लाई ऑर्डर जारी होने के बाद दालों का स्टॉक होलसेल गोदामों में पहुंचना शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को समय पर और पर्याप्त मात्रा में दालें उपलब्ध करवाई जाएंगी।
महंगाई के दौर में बड़ा सहारा
हिमाचल सरकार डिपो के माध्यम से दालों के अलावा खाद्य तेल, चीनी, चावल, आटा, नमक जैसी जरूरी चीजें भी बाजार से कम कीमतों पर उपलब्ध करवा रही है। बढ़ती महंगाई के बीच यह सस्ता राशन आम परिवारों के लिए महत्वपूर्ण राहत बन चुका है। बहुत से परिवारों का कहना है कि अगर पीडीएस की रियायती दरें न हों, तो रोजमर्रा की रसोई चलाना मुश्किल हो जाए।
कितने हैं राशन कार्ड धारक?
हिमाचल में कुल 19,57,440 राशन कार्डधारक हैं। इनमें-
APL: 11,58,522
APL टैक्स पेयर: 60,840
BPL: 2,76,628
PH: 3,01,825
AAY: 1,59,624
आम आदमी पर बोझ
वहीं, लोगों का कहना है कि सरकार एक तरफ राहत योजनाओं और महंगाई कम करने की बातें करती है, दूसरी तरफ डिपो में मिलने वाली जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ाकर आम आदमी पर और बोझ डाल देती है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब पीडीएस गरीब और मध्यमवर्ग के लिए सुरक्षा कवच माना जाता है, तो उसमें दाम वृद्धि किस तर्क से की गई है?
