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हाईकोर्ट: विमल नेगी मामले में निलंबित ASI पंकज को मिली जमानत, कोर्ट ने दिए कड़े निर्देश

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शिमला, 31 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बहुचर्चित चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले में फंसे ASI पंकज शर्मा को जमानत प्रदान कर दी है। अदालत ने जमानत मंजूर करते हुए साफ शब्दों में कहा कि आरोपी को देश छोड़ने या गवाहों पर किसी भी तरह का दबाव बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

न्यायमूर्ति विरेंदर सिंह की एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष को पर्याप्त अवसर दिया जा चुका है और अब आरोपी को अनिश्चितकाल तक न्यायिक हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है।

मामला उस समय चर्चा में आया था जब विमल नेगी की संदिग्ध मौत के बाद पुलिस जांच में सामने आया कि घटनास्थल से बरामद एक पेन ड्राइव गायब हो गई थी। इस पेन ड्राइव को सबूत के तौर पर बेहद अहम माना जा रहा था। इस मामले में ASI पंकज शर्मा पर आरोप है कि उसने यह पेन ड्राइव मौके से गायब कर दी।

इसी आरोप को लेकर उसके खिलाफ 19 मार्च को FIR दर्ज की गई थी। बाद में 23 मई को हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंप दी। CBI ने 26 मई को पंकज शर्मा के खिलाफ औपचारिक मामला दर्ज कर लिया और 14 सितंबर को उसे उसके पैतृक गांव जोल बहल, घुमारवीं से गिरफ्तार किया।

गिरफ्तारी के बाद 16 सितंबर को आरोपी को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, शिमला की अदालत में पेश किया गया था, जहाँ से उसे दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया। रिमांड पूरी होने के बाद अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था।

CBI ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि 18 मार्च की सुबह स्वारघाट पुलिस स्टेशन को विमल नेगी के शव की सूचना मिली थी। सदर शिमला थाने में विमल नेगी की गुमशुदगी रिपोर्ट पहले से दर्ज थी, इसलिए ASI पंकज शर्मा को शव की पहचान और बरामदगी के लिए स्वारघाट भेजा गया।

मौके पर पंकज शर्मा ने होम गार्ड सुरेश और मछुआरों सुनील व महेंद्र के साथ मिलकर शव की पहचान की प्रक्रिया शुरू की। इसी दौरान मृतक की जैकेट से एक पर्स, नकदी, ड्राइविंग लाइसेंस और एक पेन ड्राइव बरामद हुई थी। CBI के अनुसार, पेन ड्राइव बाद में गायब हो गई और इसी पर पंकज शर्मा पर सबूत मिटाने का संदेह जताया गया।

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि जिन धाराओं में आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, वे गंभीर जरूर हैं, लेकिन अब तक की जांच में ऐसा कोई ठोस कारण सामने नहीं आया है जो आरोपी को आगे भी जेल में रखने को न्यायसंगत ठहराए। कोर्ट ने कहा कि अब सीबीआई को उसकी कस्टडी की आवश्यकता नहीं है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है।

हाईकोर्ट ने पंकज शर्मा को जमानत देते हुए कुछ कड़े निर्देश जारी किए-

आरोपी बिना अदालत की पूर्व अनुमति के देश से बाहर नहीं जा सकेगा।
वह किसी भी गवाह, पुलिस अधिकारी या मामले से जुड़े व्यक्ति पर दबाव या प्रलोभन नहीं डालेगा।
अगर आरोपी कोर्ट की किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है, तो जमानत स्वतः रद्द मानी जाएगी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के एक जमानती के आधार पर उसे रिहा किया जाए।

ASI पंकज शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि वह पूरी तरह निर्दोष है और मामले में उसे झूठा फंसाया गया है। उसने कहा कि कथित घटना के समय वह सदर थाना शिमला में ड्यूटी पर था और उसने केवल अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश का पालन किया था। उसका कहना था कि CBI के पास अब कोई ऐसा कारण नहीं है कि उसे आगे भी हिरासत में रखा जाए।

हाईकोर्ट ने CBI को यह भी निर्देश दिया है कि मामले की अगली सुनवाई पर जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि जमानत का अर्थ आरोपी को क्लीन चिट देना नहीं है-जांच जारी रहेगी, और दोषी पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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