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CM सुक्खू बोले — अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए संवेदनशीलता के साथ काम कर रही सरकार

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शिमला, 27 अक्टूबर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में सोमवार को 11 वर्ष बाद नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1995 तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई और समिति के सदस्यों ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि यह कानून कांग्रेस पार्टी तथा संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की दूरदृष्टि और सामाजिक न्याय की भावना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में यह अधिनियम प्रभावी रूप से लागू है, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। प्रशासनिक तंत्र को और अधिक सशक्त बनाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने समानता और समरसता की स्थापना के लिए जीवनभर संघर्ष किया, और उन्हीं की प्रेरणा से राज्य सरकार अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में छुआछूत की घटनाएं अब काफी कम हो गई हैं और सरकार ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई सुनिश्चित कर रही है।

श्री सुक्खू ने जानकारी दी कि पिछले तीन वर्षों में 1,200 पीड़ितों को पुनर्वास राहत के रूप में लगभग ₹7.35 करोड़ वितरित किए गए हैं, जबकि 45,238 पीड़ितों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान की गई है।

इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने कहा कि प्रदेश की 25.19 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जातियों से संबंधित है और राज्य सरकार उनके सर्वांगीण विकास के लिए लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सुविधा के साथ-साथ सामाजिक योजनाओं के माध्यम से समाज में भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया जा रहा है।

डॉ. शांडिल ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15, 16 और 17 के अंतर्गत छुआछूत और जातिगत भेदभाव को दंडनीय अपराध घोषित कर सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अधिनियम के उल्लंघन पर अत्याचार की गंभीरता के अनुसार सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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