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सुधीर शर्मा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस, कांग्रेस विधायकों ने मांगी कार्रवाई

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शिमला, 02 सितंबर। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। धर्मशाला से भाजपा के विधायक सुधीर शर्मा के खिलाफ कांग्रेस विधायकों ने विशेषाधिकार हनन का गंभीर आरोप लगाते हुए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र सौंपा है। कांग्रेस का कहना है कि सुधीर शर्मा ने न केवल सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है, बल्कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की छवि को जानबूझकर धूमिल करने की कोशिश की है।

सोशल मीडिया पर पत्र सार्वजनिक करने को लेकर विवाद
कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि सुधीर शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र को सार्वजनिक मंचों, विशेषकर सोशल मीडिया पर साझा किया, जबकि उस पत्र पर अध्यक्ष द्वारा कोई निर्णय लिया ही नहीं गया था कि वह प्रिविलेज कमेटी को भेजा जाएगा या नहीं। कांग्रेस का कहना है कि ऐसा आचरण न केवल विधानमंडल की मर्यादा के खिलाफ है, बल्कि यह संवैधानिक प्रक्रिया का भी उल्लंघन है।

क्या है पूरा मामला

सुधीर शर्मा ने मुख्यमंत्री सुक्खू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा था, जिसमें उन्होंने सरकार की घोषणाओं और तथ्यों को लेकर गंभीर सवाल उठाए। शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने वर्ष 2025-26 के बजट सत्र में 25,000 युवाओं को रोजगार देने की घोषणा की, जबकि स्वतंत्रता दिवस पर दी गई जानकारी में यह संख्या 23,000 बताई गई। वहीं, पिछले मानसून सत्र में यह आंकड़ा 34,000 से अधिक बताया गया था।

भाजपा विधायक ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा हर विधानसभा क्षेत्र में एक 'आदर्श स्वास्थ्य संस्थान' खोलने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक जमीन पर ऐसा कोई संस्थान नहीं बना है न ही भाजपा विधायकों के क्षेत्रों में और न ही अन्य जगहों पर।

कांग्रेस विधायकों का कहना है कि जब तक विधानसभा अध्यक्ष कोई फैसला नहीं लेते, तब तक किसी पत्र या प्रस्ताव को सार्वजनिक करना विशेषाधिकार का उल्लंघन माना जाता है। उन्होंने मांग की है कि सुधीर शर्मा के इस कृत्य पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि सदन की गरिमा से खिलवाड़ न कर सके।

क्या कहता है संविधान और नियम?

विशेषाधिकार हनन का मामला तब बनता है जब कोई व्यक्ति या सदस्य सदन की कार्यवाही या उसके सदस्यों के अधिकारों में अड़चन पैदा करता है। किसी दस्तावेज या कार्यवाही को बिना अनुमति सार्वजनिक करना या उसका राजनीतिक लाभ उठाना इस श्रेणी में आता है।

राजनीतिक गलियारों में हलचल

इस पूरे घटनाक्रम से राज्य की राजनीति गरमा गई है। एक ओर भाजपा सरकार को वादाखिलाफी का दोषी ठहरा रही है, वहीं कांग्रेस भाजपा पर सदन की गरिमा भंग करने का आरोप लगा रही है। अब देखना यह होगा कि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया इस पूरे मामले में क्या रुख अपनाते हैं और विशेषाधिकार हनन के आरोपों पर क्या कार्रवाई की जाती है।

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