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कांगड़ा, 03 अगस्त। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के एक पूर्व सैनिक को 20 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी के नाम पर साइबर ठगों ने ऐसी चाल में फंसाया, कि अब खुद उनका बैंक खाता एक अंतरराज्यीय ठगी गिरोह के ट्रांजेक्शन का जरिया बन गया है।
फौजी बना ठगों का शिकार
नतीजतन, मध्य प्रदेश पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। यह मामला न केवल साइबर अपराध की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे अनजाने में लोग ठगों का ‘म्यूल अकाउंट’ बनकर खुद कानूनी उलझनों में फंस सकते हैं।
मैच्योरिटी का लालच बना साजिश की नींव
यह सब कुछ तब शुरू हुआ जब पूर्व सैनिक को एक फोन कॉल आया, जिसमें उनसे कहा गया कि उनकी बीमा पॉलिसी मैच्योर हो गई है और अब उनके खाते में 20 लाख रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे। शुरुआत में बुजुर्ग ने इस कॉल को फर्जी मानकर नजरअंदाज कर दिया। लेकिन शातिर ठगों ने दोबारा संपर्क किया और इस बार इतनी विश्वसनीयता और मीठी भाषा में बात की, कि पूर्व सैनिक खुद उनसे संवाद करने लगे।
खुलवाया गया नया बैंक खाता
ठगों ने कहा कि पुराना खाता बीमा भुगतान के लिए मान्य नहीं है, इसलिए उन्हें एक नया बैंक खाता खुलवाकर उसकी सारी डिटेल और ATM कार्ड उनके बताये पते पर भेजना होगा। बुजुर्ग ने, बिना परिवार को कुछ बताए, एक नया खाता खुलवाया और कार्ड व संबंधित जानकारी पोस्ट के माध्यम से ठगों के पास भेज दी।
खाते में आए 20 लाख
कुछ ही समय बाद उस खाते में 20 लाख रुपये ट्रांसफर हुए- लेकिन ये पैसे किसी बीमा कंपनी से नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश में हुई एक बड़ी ऑनलाइन ठगी के शिकार व्यक्ति के थे। MP पुलिस को जैसे ही खाते के बारे में पता चला तो पुलिस टीम ने तुरंत बुजुर्ग का खाता होल्ड करवाकर उसे नोटिस भेजा।
अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह
नोटिस में उन्हें बताया गया कि उनका खाता ठगी के लेन-देन में इस्तेमाल हुआ है और उन्हें मामले में कानूनी तौर पर सफाई देनी होगी। पूर्व सैनिक जब इस नोटिस को लेकर हिमाचल प्रदेश पुलिस और साइबर क्राइम थाने में पहुंचे, तब असली सच्चाई सामने आई कि वे अनजाने में एक अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह के लिए म्यूल अकाउंट बन गए हैं।
क्या होता है म्यूल अकाउंट?
साइबर अपराध में म्यूल अकाउंट उन खातों को कहा जाता है जो पैसे के ट्रांजेक्शन के लिए तीसरे व्यक्ति के नाम पर खोले जाते हैं, ताकि असली अपराधी की पहचान छिपी रहे। म्यूल अकाउंट धारक अक्सर जानबूझकर या धोखे से ठगों के लिए बैंक खाता खोल देता है और उस खाते में ठगी का पैसा आता-जाता है।
साइबर क्राइम थाना, धर्मशाला के ASP प्रवीण धीमान ने बताया कि यह मामला म्यूल अकाउंट का क्लासिक उदाहरण है। पूर्व सैनिक ने भले ही लालच में आकर खाता खोला हो, लेकिन अब उन्हें इस बात का कानूनी खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है।
जल्दी कमाई का लालच बना सबसे बड़ा खतरा
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जल्दी पैसा कमाने की चाह, तकनीकी जानकारी की कमी और भरोसे की लापरवाही लोगों को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। कई बार लोग बिना किसी जानकारी के सिर्फ फर्जी कॉल, ईमेल या वॉट्सऐप मैसेज के जरिए इतने बड़े कदम उठा लेते हैं कि बाद में वे खुद ही ठगी के अपराध में आरोपी बन जाते हैं।
परिवार से छुपाई बात, बना सबसे बड़ी चूक
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यदि पूर्व सैनिक अपने परिवार या किसी भरोसेमंद व्यक्ति से राय लेते, तो शायद वे इस जाल में न फंसते। बिना किसी दस्तावेजी पुष्टि के खाता खोलना और उसकी जानकारी किसी बाहरी को देना, साइबर अपराध की श्रेणी में आता है और भारतीय साइबर क़ानूनों में इसकी सख्त सजा भी है।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
फिलहाल पुलिस इस खाते के जरिए हुए लेन-देन की जांच कर रही है। बुजुर्ग के खिलाफ कोई आपराधिक मंशा साबित न होने पर उन्हें सहयोगी गवाह के तौर पर लिया जा सकता है, लेकिन यदि यह साबित हुआ कि उन्होंने कुछ आर्थिक लाभ लेने की नीयत से यह खाता खुलवाया था, तो उन्हें सह-आरोपी बनाया जा सकता है।