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शिमला, 23 जुलाई। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई "जॉब ट्रेनी" नीति अब राज्य की राजनीति का बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। सीएम सुक्खू की यह नई जॉब ट्रेनी पॉलिसी सियासी तूफान का रूप लेती जा रही है। जहां एक ओर सरकार इसे आधुनिक भर्ती प्रणाली बताकर युवाओं के भविष्य के लिए बेहतर मान रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल भाजपा और बेरोजगार युवाओं के संगठन इसे युवाओं के साथ विश्वासघात बता रहे हैं।
खासकर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, इस नीति पर खुलकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। उनका कहना है कि यह नीति युवाओं को भ्रमित करने और उनके अधिकारों को छीनने की एक रणनीति है। जिसे सियासी गलियारों में 2027 विधानसभा चुनाव की भूमिका से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
क्या है जॉब ट्रेनी पॉलिसी
दरअसल सुक्खू सरकार द्वारा घोषित नई नीति के अनुसार अब ग्रुप-A, B और C की भर्ती में चयनित उम्मीदवारों को पहले दो वर्षों के लिए “जॉब ट्रेनी” के रूप में नियुक्त किया जाएगा। इसके बाद दोबारा मूल्यांकन के आधार पर नियमित किया जाएगा। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि इससे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता आएगी, साथ ही चयनित उम्मीदवारों के व्यवहारिक प्रदर्शन को आधार बनाया जा सकेगा।
जयराम ठाकुर का आरोप
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जॉब ट्रेनी पॉलिसी प्रदेश के युवाओं के साथ एक भद्दा मज़ाक है। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले युवाओं को पक्की नौकरी की गारंटी दी थी, लेकिन अब वह गारंटी जॉब ट्रेनी जैसे प्रयोगों में बदल दी गई है। 58 साल तक पक्की नौकरी देने की बात करने वाली सरकार अब 2 साल की ट्रेनी की बात कर रही है। यह युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
सरकार ने खत्म किए डेढ़ लाख सरकारी पद
उन्होंने आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार के कार्यकाल में न तो नौकरियां दी गईं और न ही भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता रही। बेरोजगारों को जहां अवसर मिलने चाहिए थे, वहीं सरकार ने 26 अक्टूबर 2024 को खाली पड़े सभी पद समाप्त कर डेढ़ लाख संभावित नौकरियों पर ताला लगा दिया। इसके अलावा कर्मचारी चयन आयोग की निष्क्रियता और परीक्षा तंत्र की कमजोर तैयारी भी सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर रही है।
कांग्रेस के चुनावी वादे कटघरे में
भाजपा और अन्य संगठन लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले युवाओं को रोजगार और स्थायी नौकरी की गारंटी दी थी। लेकिन सत्ता में आने के बाद न सिर्फ वो वादे भूल गए बल्कि अब जो नीति लाई गई है वह उन वादों के विपरीत है।
सरकार पर "मित्रों को लाभ" युवाओं को दंड" का आरोप
जयराम ठाकुर ने सरकार पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार अपने करीबी लोगों और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए हरसंभव रास्ता ढूंढ लेती हैए लेकिन जब युवाओं की बात आती है तो वह उनके हक छीनने के रास्ते तलाशती है।
बेरोजगार संगठन भी नाराज़
हिमाचल बेरोजगार कला अध्यापक संघ सहित कई संगठनों ने भी सुक्खू सरकार की नीति पर कड़ा ऐतराज जताया है। संघ के अध्यक्ष बलवंत सिंह, उपाध्यक्ष जगदीश ठाकुर और सचिव विजय चौहान का कहना है कि जब सरकारी नौकरियां पहले ही कम हैं, ऐसे में जॉब ट्रेनी जैसी नीति लाकर बेरोजगारों के साथ अन्याय किया जा रहा है। संघ का कहना है कि पहले एक टेस्ट लेकर चयन किया जाएगा, फिर दो वर्ष बाद दोबारा टेस्ट लेकर ही रेगुलर किया जाएगा। इस दोहरी परीक्षा प्रणाली ने युवाओं में असमंजस और निराशा पैदा कर दी है।