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शिमला, 17 जुलाई। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में सुक्खू सरकार के एक आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह फैसला राजधानी शिमला से एक बड़े दफ्तर को धर्मशाला स्थानांतरित करने को लेकर सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।
सरकार की योजना पर रोक
जानकारी के अनुसार, धर्मशाला में रेरा यानी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी कार्यालय को स्थानांतरित करने की राज्य सरकार की योजना पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता की ओर से दायर आवेदन में तर्क दिया गया कि राज्य सरकार इस कार्यालय को धर्मशाला स्थानांतरित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, जबकि इस फैसले के समर्थन में कोई भी ठोस या तार्किक कारण प्रस्तुत नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि सरकार को केवल नीति निर्धारण का अधिकार है, लेकिन प्रशासनिक तर्कों के बिना महत्त्वपूर्ण कार्यालयों को स्थानांतरित करना जनहित के विपरीत है।
प्रार्थी ने कोर्ट में दिया यह तर्क
प्रार्थी ने न्यायालय को बताया कि वर्तमान में रेरा कार्यालय में अधिकतर कर्मचारी आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त किए गए हैं, और यदि कार्यालय को धर्मशाला शिफ्ट किया गया, तो इन कर्मचारियों को कार्य से हटना पड़ेगा या उन्हें पुनः बसाया जाएगा।
इससे न केवल मानवीय संकट खड़ा होगा, बल्कि कार्य प्रणाली पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि नए स्थान पर नई भर्तियों की आवश्यकता होगी। साथ ही, जो नए कर्मचारी आएंगे, उन्हें रेरा कार्यालय के तकनीकी और प्रशासनिक कार्यों का अनुभव नहीं होगा, जिससे अथॉरिटी के उद्देश्य को नुकसान पहुंच सकता है।
सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर फैसला
कोर्ट ने इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए रेरा कार्यालय को धर्मशाला स्थानांतरित करने पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश दिया है। यह फैसला राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि क्या प्रशासनिक फैसलों में जनहित को पर्याप्त प्राथमिकता दी जा रही है। मामला अभी न्यायालय में लंबित है और आगामी सुनवाई में राज्य सरकार से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।