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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में सरकारी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए अनुबंध व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। अब नई भर्तियां “ट्रेनी” प्रणाली के तहत की जाएंगी, जिसमें कर्मचारी को दो साल की प्रशिक्षण अवधि पूरी करने के बाद ही नियमित किया जाएगा।
अनुबंध व्यवस्था हुई समाप्त
सुक्खू सरकार ने इस नई भर्तियां ट्रेनी प्रणाली के तहत करने वाले नियम को लागू करने के लिए हिमाचल प्रदेश कर्मचारी सेवा शर्तें अधिनियम, 2024 को प्रभाव में लाया है- जो कि 20 फरवरी, 2024 से लागू हो चुका है।
ट्रेनी प्रणाली का ढांचा
ट्रेनी प्रणाली के तहत भर्ती किए गए कर्मचारियों के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं। जैसे कि-
उनके पद के वेतन मैट्रिक्स के प्रथम सेल का केवल 60 प्रतिशत वेतन मिलेगा।
इस दौरान उन्हें न तो पेंशन का लाभ मिलेगा न ही GPF, LTC या मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति का अधिकार रहेगा।
दो वर्ष की इस ट्रेनी अवधि के दौरान कर्मचारी और सरकार के बीच एक लिखित समझौता किया जाएगा- जिसमें सेवा शर्तें स्पष्ट रूप से निर्धारित होंगी।
इस दौरान किसी प्रकार की EPF/GPF या बीमा योजना लागू नहीं होगी।
मौजूदा अनुबंध कर्मियों पर भी असर
नई व्यवस्था के तहत वर्तमान में अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारी भी ट्रेनी श्रेणी में लाए जाएंगे। इससे न केवल भर्ती प्रक्रिया को एक समान स्वरूप मिलेगा बल्कि वरिष्ठता और स्थायीकरण से जुड़े कानूनी विवादों में भी कमी आने की उम्मीद है।
अवकाश और स्वास्थ्य संबंधी शर्तें
ट्रेनी कर्मचारियों को हर महीने एक दिन की आकस्मिक छुट्टी, साल में 10 दिन की चिकित्सा छुट्टी, 5 दिन की विशेष अवकाश और गर्भवती महिलाओं के लिए अधिकतम 180 दिन की मातृत्व अवकाश की सुविधा मिलेगी। गर्भपात की स्थिति में भी छुट्टी के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। स्वास्थ्य आधार पर छुट्टी केवल मान्य चिकित्सकीय प्रमाणपत्र पर ही दी जाएगी।
वहीं, अगर कोई ट्रेनी कर्मचारी अनधिकृत रूप से अनुपस्थित पाया गया, तो उसकी सेवाएं समाप्त की जा सकेंगी। साथ ही गर्भवती महिला उम्मीदवारों के लिए यह तय किया गया है कि अगर वे भर्ती के समय 12 सप्ताह या उससे अधिक गर्भवती पाई जाती हैं, तो उन्हें खतरनाक ड्यूटी से अस्थायी रूप से रोका जाएगा और प्रसव के बाद पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा।
अदालतों में लंबित हैं कई मामले
राज्य सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि अनुबंध सेवाकाल की वरिष्ठता को लेकर कई कानूनी मामले अदालतों में लंबित हैं। लगातार बढ़ते मुकदमों और प्रशासनिक अड़चनों को देखते हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में यह नया कानून पारित किया गया था ताकि राज्य की सभी भर्तियों में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित की जा सके।