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शिमला, 31 मई। हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत मामले ने अब राजनीतिक तूफान का रूप ले लिया है। हाईकोर्ट द्वारा मामले की सीबीआई जांच के आदेश के बाद जहां सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस फैसले के खिलाफ कोई अपील न करने की बात कही थी, वहीं अब एक चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। शिमला के एसपी संजीव गांधी ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी।
एसआईटी जांच को बताया निष्पक्ष
अपनी याचिका में एसपी शिमला ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को निष्पक्ष बताया और अपील की कि मामले की जांच एसआईटी को ही सौंपी जाए। लेकिन कोर्ट रजिस्ट्री ने याचिका में कुछ तकनीकी खामियां पाईं, जिसके चलते एसपी शिमला की ओर से याचिका फिलहाल वापस ले ली गई है। इसे जरूरी सुधार के बाद दोबारा दाखिल किया जा सकता है।
सीएम के स्टैंड के उलट गई याचिका
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले ही साफ कह चुके हैं कि सरकार सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में कोई पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगी। ऐसे में एसपी शिमला की इस अपील ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। भाजपा ने सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने और जांच को उलझाने के आरोप लगाए हैं।
बीजेपी बोली – सरकार का असली चेहरा सामने आया
विधायक सुधीर शर्मा ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के इनकार के बावजूद एसपी शिमला की ओर से दायर याचिका यह दिखाती है कि सरकार जांच को प्रभावित करना चाहती है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब संजीव गांधी मेडिकल लीव पर हैं और उनका चार्ज किसी और को सौंपा गया है, तो फिर वे कैसे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं?
एडवोकेट जनरल किसका पक्ष रखेंगे?
सुधीर शर्मा ने यह भी सवाल किया कि क्या इस याचिका के लिए एसपी ने सरकार से एनओसी ली है? क्या यह सरकार की मंशा के तहत किया गया कदम है? अगर नहीं, तो एडवोकेट जनरल कोर्ट में किसके प्रतिनिधि बनकर पेश होंगे? उन्होंने कहा कि सरकार सीबीआई जांच से घबराई हुई है, इसलिए जांच को लंबा खींचने और जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है।