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बिलासपुर, 22 मई। जिला के राजकीय हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज, बंदला में प्राचार्य पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे हैं। एक पूर्व छात्र की शिकायत के बाद छात्र-छात्राओं ने वीरवार शाम कॉलेज गेट पर धरना शुरू किया। उन्होंने नारेबाजी कर प्राचार्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दो दिन में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
शिकायत की शुरुआत
8 अप्रैल को एक पूर्व छात्र ने समग्र ई-समाधान पोर्टल पर शिकायत दर्ज की। इसमें कहा गया कि प्राचार्य ने सुंदरनगर इंजीनियरिंग कॉलेज में संकाय सदस्य रहते हुए छात्राओं के साथ अनुचित व्यवहार किया। उस समय तत्कालीन प्राचार्य को लिखित शिकायत दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायत में दावा किया गया कि प्राचार्य का ऐसा व्यवहार बंदला कॉलेज में भी जारी है।
छात्राओं पर दबाव
पूर्व छात्र ने आरोप लगाया कि प्राचार्य छात्राओं को अनुचित संदेश भेजते और कॉल करते हैं। जवाब न देने पर उन्हें धमकाया जाता है। इन आरोपों की कॉपी वायरल होने के बाद मामला गरमाया। छात्र-छात्राओं ने एकजुट होकर कॉलेज गेट पर प्रदर्शन शुरू किया। उन्होंने प्राचार्य के खिलाफ नारेबाजी की और तत्काल कार्रवाई की मांग की। हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से इस मामले पर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
जांच समिति का गठन
शिकायत के बाद जिला स्तरीय यौन उत्पीड़न जांच समिति का गठन किया गया। समिति की अध्यक्ष डॉ. विभा शर्मा ने बताया कि जांच पूरी हो चुकी है। रिपोर्ट को जल्द उच्च अधिकारियों को सौंपा जाएगा। समिति ने सभी पक्षों के बयान दर्ज किए। छात्रों का कहना है कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और दोषी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
छात्रों का गुस्सा
छात्र-छात्राओं का गुस्सा प्राचार्य के कथित व्यवहार से भड़का। उन्होंने बताया कि ऐसी घटनाएं कॉलेज के माहौल को असुरक्षित बनाती हैं। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि प्राचार्य को निलंबित किया जाए। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नीतियां बनाई जाएं। कॉलेज प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक से दो दिन में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मंत्री ने कहा कि अगर आरोप सही पाए गए, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा मंत्रालय की ओर से भी इस तरह के मामलों में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने की बात कही गई है।