बिलासपुर: वन विभाग कर रहा था मॉक ड्रिल, जंगल में लग गई आग, सवालों के घेरे में विभाग

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बिलासपुर, 22 मई । हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला स्थित घुमारवीं वन परिक्षेत्र के अंतर्गत भींगू जंगल में उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब आग पर काबू पाने की मॉक ड्रिल असली आग में तब्दील हो गई। वन विभाग की ओर से आयोजित इस मॉक ड्रिल में आग फैल गई और दो बीघा में फैले जंगल को अपनी चपेट में ले लिया। जहां ये अभ्यास होना था, वहां अनार की स्थानीय दाड़ू प्रजाति के लगभग 1000 पौधे और सागवान के कई पौधे लगाए गए थे, जो अब पूरी तरह जल चुके हैं।

ग्रामीणों का आरोप

जाइका परियोजना के तहत जिन पौधों को गांव के वन प्रेमी संरक्षण में रखे हुए थे, वही अब इस आग में नष्ट हो गए। पूर्व कमेटी प्रधान राजेश शर्मा, जोगिंद्र सिंह, सीताराम, रमेश चंद्र और मनोज कुमार जैसे ग्रामीणों ने सीधे तौर पर वन विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि आग बुझाने के नाम पर की जा रही इस मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ, अग्निशमन विभाग, जल शक्ति और अन्य टीमें भी शामिल थीं। इस दौरान नवनियुक्त वन मित्रों को ट्रेनिंग दी जा रही थी, लेकिन अचानक आग नियंत्रण से बाहर हो गई।

अधिकारियों की सफाई- सब कुछ नियमों के तहत हुआ

वन परिक्षेत्र अधिकारी हंसराज और वन खंड अधिकारी देशराज ने दावा किया है कि ड्रिल नियमानुसार की गई थी और एक बीघा क्षेत्र बिना पेड़ों के चुना गया था। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इसी स्थान पर पामारोजा घास भी थी, जिस पर चार सालों से करीब 25 लाख रुपये खर्च हो चुके थे। इस घास से सेंट बनाया जाता है और इसकी मार्केट में काफी मांग थी।

ना दोहराई जाए ये गलती

ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए। साथ ही सवाल उठाया कि हर साल लाखों रुपये की मॉक ड्रिल होती है, लेकिन नतीजा क्या निकलता है

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