हिमाचल : गोद में बच्चा लिए नशा तस्करी करने निकली महिला, पति पत्नी समेत तीन गिरफ्तार

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शिमला। हिमाचल प्रदेश की शांत वादियों में नशे का जहर चुपचाप पांव पसार रहा है। मगर शिमला पुलिस का "मिशन क्लीन" अभियान इस खतरनाक रफ्तार को रोकने में लगातार सफल हो रहा है। हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने अपनी गोद में मासूम बच्चे को रखकर चिट्टा तस्करी की कोशिश की। हालांकि, पुलिस की सतर्कता ने इन तस्करों की योजना को नाकाम कर दिया।

गुप्त सूचना बनी गिरफ्तारी की वजह

8 अप्रैल को कोटखाई पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि एक अर्टिगा वाहन (पंजाब नंबर) शिमला से कोटखाई की ओर नशीले पदार्थ लेकर आ रहा है। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए हेड कांस्टेबल सोहन लाल और थाना प्रभारी अंकुश ठाकुर के नेतृत्व में पुलिस टीम ने हुल्ली ब्रिज के पास नाकाबंदी कर दी।

गोद में बच्चा, लेकिन इरादे जहरीले

जब संदिग्ध वाहन मौके पर पहुंचा, तो उसमें टैक्सी चालक समेत तीन पुरुष और एक महिला बैठी मिली, जिसकी गोद में छोटा बच्चा था। शुरू में पुलिस को शक हुआ कि शायद यह एक परिवार सफर कर रहा है, लेकिन तलाशी लेने पर जो सामने आया, उसने सभी को चौंका दिया। वाहन से 54.420 ग्राम हेरोइन (चिट्टा) बरामद की गई, जिसकी बाजार में कीमत लगभग तीन लाख रुपये आंकी गई है।

आरोपियों की पहचान

पुलिस ने खेप को अपने कब्जे में लेकर मौके पर ही तीनों तस्करों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस टीम ने तीनों के खिलाफ NDPS एक्ट की धारा 21 और 29 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों की पहचान-
अभिषेक मेहरा (19): निवासी उत्तराखंड
रॉबिन सिंह (24): निवासी उत्तर प्रदेश
शबाना उर्फ माही (23): पत्नी रॉबिन सिंह, मूल निवासी वही

नशा तस्करी के खिलाफ "भरोसा" अभियान

शिमला पुलिस ने "भरोसा" नाम से एक विशेष अभियान शुरू किया है, जो नशा तस्करों के खिलाफ निर्णायक कदम है। पुलिस न केवल तस्करों को गिरफ्तार कर रही है, बल्कि युवाओं को जागरूक भी कर रही है कि वे नशे से दूर रहें और समाज को बेहतर दिशा दें।

सामाजिक चिंता और पुलिस की भूमिका

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि एक मां ने अपनी गोद में बच्चे को लेकर इस गैरकानूनी काम को अंजाम देने की कोशिश की। इससे पता चलता है कि नशे की तस्करी का नेटवर्क अब कैसे सामाजिक रिश्तों और भावनाओं को भी ढाल बना रहा है।

इस घटना से एक बार फिर साबित हुआ कि हिमाचल में नशा तस्करी अब बाहरी राज्यों से संचालित हो रही है और इसके लिए मासूम चेहरों और पारिवारिक ढांचे की आड़ ली जा रही है। पुलिस की सजगता और कर्तव्यनिष्ठा ने एक बड़ी मात्रा में ज़हर को समाज में फैलने से रोक दिया।

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