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शिमला। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा (HAS) के अनुभवी अधिकारी संजीव कुमार भोट ने बार-बार तबादलों से आहत होकर ऐच्छिक सेवानिवृत्ति की घोषणा कर दी है। संजीव भोट ने मुख्य सचिव के पास वीआरएस (VRS) के लिए आवेदन भेज दिया है। उन्होंने कहा कि वह परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं और यह निर्णय उन्होंने भारी मन से लिया है।
डेढ़ साल में चार तबादले
प्रदेश सरकार के मात्र ढाई साल के कार्यकाल में संजीव भोट का चार बार ट्रांसफर हुआ। मई 2023 में उन्हें रिकांगपिओ (किन्नौर) भेजा गया, जहां उन्होंने छह माह सेवा दी। इसके बाद डोडरा क्वार, फिर एसडीएम धर्मशाला और अब हाल ही में भरमौर में तबादला कर दिया गया। संजीव भोट ने साफ किया कि वह एडीएम भरमौर का कार्यभार ग्रहण नहीं करेंगे।
“सरकार से नहीं, सिस्टम से है शिकायत”
उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें प्रदेश सरकार से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है, लेकिन कुछ अधिकारियों की वजह से वे लगातार मानसिक दबाव में हैं। उन्होंने कहा कि अगर मुझसे कोई गलती हुई है तो बताया जाए। लेकिन हर कुछ महीनों में ट्रांसफर होना दुर्भाग्यपूर्ण है
1998 से सेवा में थे संजीव
संज़ीव भोट ने 1998 में नायब तहसीलदार के पद से सेवा शुरू की थी। वे काजा, किन्नौर और धर्मशाला में तहसीलदार रह चुके हैं। उनके परिवार में पत्नी (जो जेबीटी टीचर हैं), दो बेटियां और एक बेटा है। इस फैसले के पीछे उन्होंने परिवार के हित को प्राथमिकता दी है।
सिस्टम से थके संजीव
यह मामला केवल एक अधिकारी की सेवा समाप्ति का नहीं, बल्कि सिस्टम के भीतर चल रही असंतुलित ट्रांसफर नीति पर सवाल है। संजीव भोट का यह फैसला प्रदेश के प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है और यह सरकार के भीतर पारदर्शिता व संवेदनशीलता की जरूरत को उजागर करता है।