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शिमला। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए और अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश किया। सीएम सुक्खू ने 58 हजार 514 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। इससे पहले सीएम सुक्खू ने 11 मार्च 2025 को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 17053 करोड़ 58 लाख रुपए का अनुपूरक बजट पारित किया था। सीएम सुक्खू के इस बार पेश किए बजट से कहीं दोगुना प्रदेश पर कर्ज का बोझ है।
बजट से दोगुना कर्ज
सीएम सुक्खू ने जो बजट का आकार आज पेश किया, उससे दोगुना हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ है। जिसके चलते हिमाचल प्रदेश में हर जन्म लेने वाला बच्चा कर्जदार है। प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति सहित जन्म लेने वाले बच्चे को विरासत में 1.17 लाख रुपए का कर्ज मिल रहा है। सीएम सुक्खू ने आज 58 हजार 514 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जबकि प्रदेश पर एक लाख करोड़ का कर्ज है।
राजस्व प्राप्तियों से अधिक राजस्व व्यय
आज विधानसभा में अपना बजट पेश करते हुए सीएम सुक्खू ने बताया कि साल 2025-26 में राजस्व प्राप्तियां 42 हजार 343 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। कुल राजस्व व्यय 48 हजार 733 करोड़ रुपए अनुमानित है। इस प्रकार कुल राजस्व घाटा 6 हजार 390 करोड़ रुपए अनुमानित है। राजकोषीय घाटा 10 हजार 338 करोड़ रुपए अनुमानित है, जोकि प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का 4.04 प्रतिशत है।
हिमाचल पर एक लाख करोड़ का कर्ज
छोटे से राज्य हिमाचल पर 1 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा का कर्ज हो गया है। लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की कर्मचारी-पेंशनर की देनदारी बकाया है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया होने की वजह से प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने 25 माह के कार्यकाल में ही 30 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज ले लिया है। अब तो प्रदेश के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पुराने कर्ज को चुकाने के लिए भी नया कर्ज लेना पड़ रहा है।
विकास कार्यों के लिए नहीं बच रहा पैसा
राज्य सरकार को विभिन्न माध्यमों से होने वाली आय और केंद्र से विभिन्न स्कीमों के तहत मिलने वाली राशि का 73 प्रतिशत से ज्यादा बजट वेतन, पेंशन, बैंकों का कर्ज लौटाने व ब्याज चुकता करने में ही खर्च हो रहा है। डेवलपमेंट वर्क के लिए लगभग 26 प्रतिशत बजट बच पाता है। वर्तमान में लगभग 17 हजार करोड़ रुपए वेतन और लगभग 10 हजार करोड़ रुपए पेंशन पर खर्च हो रहे हैं।
बजट का आधा हिस्सा वेतन और पेंशन पर हो रहा खर्च
2025-26 के बजट अनुसार प्रति 100 रुपए में से वेतन पर 25 रुपए, पेंशन पर 20 रुपए, ब्याज अदायगी पर 12 रुपए, ऋण अदायगी पर 10 रुपए, स्वायत्त संस्थानों के लिए ग्रांट पर 09 रुपए, जबकि शेष 24 रुपए पूंजीगत कार्यों सहित अन्य गतिविधियों पर व्यय किये जाएंगे।