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शिमला। बिजली बोर्ड के हजारों कर्मचारी प्रदेश सरकार नराज है। त्यौहारी सीजन में स्थिति ये आ गई है कि बोर्ड कर्मचारियों को 28 अक्तूबर को प्रदेश भी में आंदोलन करने जा रही हैं। वहीं इस आंदोलन के बाद भी सरकार का बोर्ड कर्मचारियों के प्रति सकारात्मक रूख नहीं बदली है तो प्रदेश भर में ब्लैक आउट जैसी स्थिति भी उत्पन हो सकती है।
इस बात के संकेत बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने शुक्रवार को बोर्ड मुख्यालय में आयोजित प्रैसवार्ता में दे दिए। पत्रकारों से बातचीत करते हुए बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन एवं फ्रंट के महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि सरकार बोर्ड के प्रति एक के बाद एक कर्मचारी विरोधी फै सले ले रही है। जिससे कर्मचारियों में भारी रोष है।
हीरालाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड कर्मचारी व अधिकारी बोर्ड में 51 इंजीनियर के पद खत्म करने और 81 चालकों की सेवाएं समाप्त करने पर रोष है। ऐसे में 28 अक्तूबर को प्रदेश भर में धरने प्रदर्शन की कॉल की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बिजली बोर्ड की स्थिति को ठीक करने के लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी बिजली बोर्ड को तीन हिस्सों ट्रांसमिशन, जेनरेशन और डिस्ट्रिब्यूशन में बांट कर इसका निजीकरण करना चाह रही है।
सरकार ने अगर 28 अक्टूबर से पहले अपने फैसलों पर पुनर्विचार नहीं किया तो बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारी आरपार की लड़ाई लड़ेगे जिसमें बोर्ड के 30 हजार पैंशनर और 16 हजार कर्मचारी सडक़ों पर उतरने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार दशा सुधारने के बजाय बिजली बोर्ड को खत्म करने की साजिश रच रही है जिसे ज्वाइंट फ्रंट किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेग। उन्होंने कहा कि बोर्ड में सरकार को बने हुए 2 साल होने जा रहे है और बिजली बोर्ड में ओपीएस लागू नहीं किया गया है जबकि चुनावों से पहले और सरकार बनने के बाद कई बार मुख्यमंत्री ओ.पी.एस लागू करने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन दो साल के बाद भी बिजली बोर्ड कर्मचारियों को ओपीएस नहीं दी गई।