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दिल्ली में भी सोमवार से तीनों नए आपराधिक कानून लागू हो गए। खास बात यह है कि दिल्ली में नए कानून के तहत दर्ज पहली एफआईआर ही विवादों में घिर गई और सियासी बखेड़ा होने पर उसे रद्द करना पड़ा। कांग्रेस ने उठाए थे सवाल दरअसल, नए कानून लागू होते ही दिल्ली की पहली एफआईआर कमला मार्केट थाने में रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि को दर्ज की गई। इसमें एक रेहड़ी वाले पर सार्वजनिक रास्ते को बाधित करने की धारा लगाई गई थी, लेकिन कुछ ही घंटे बाद इस पर विवाद हो गया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पहली एफआईआर रोज कमाने वाले व्यक्ति पर की गई है। इससे बुरा क्या हो सकता है। उधर, पत्रकारों से बातचीत में जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ किया कि नए कानून के तहत ना तो दिल्ली में पहली एफआईआर दर्ज हुई और ना ही किसी रेहड़ी वाले पर ऐसा मामला दर्ज हुआ है। इसके बाद दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि एफआईआर गलती से दर्ज हुई। उसे रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सड़क बाधित करने का आरोप लगाया था: कमला मार्केट थाने में एफआईआर संख्या 267 एसआई कार्तिक मीणा की शिकायत पर दी गई। इसके अनुसार, एसआई कार्तिक मीणा एवं अन्य पुलिस कर्मी देर रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने गश्त कर रहे थे। वहां पंकज नाम का शख्स रेहड़ी लगाकर सिगरेट-बीड़ी और पान मसाला बेचता हुआ दिखाई दिया। चूंकि रेहड़ी सड़क पर लगी थी इसलिए लोगों को आने जाने में दिक्कत हो रही थी। इसके बाद एसआई ने नए कानून के तहत अनिवार्य प्रक्रिया के तहत मोबाइल फोन पर इंस्टॉल ई-प्रमाणन ऐप से मौके की वीडियो बनाई और रेहड़ी वाले का नाम एवं पता आदि दर्ज किया। इसके बाद थाने में तहरीर दी गई जिस पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई।
पहले क्या : पुराने कानून के तहत सार्वजनिक स्थल पर आवागमन बाधित होने की धारा 283 होती थी। 200 रुपये जुर्माना। जमानती धारा।
अब क्या : भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत पांच हजार रुपये जुर्माना, जमानती।
मामले के बाद अफसरों ने चुप्पी साधी: एफआईआर दर्ज होने के करीब 12 घंटे बाद ही इसे रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। हालांकि, इसके कारणों के विषय में किसी भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कमला मार्केट थाने में दर्ज यह मामला नए कानूनों के तहत किया गया है। इसके लिए पहले भी प्रावधान थे और यह कोई नया प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने इसकी समीक्षा करने के प्रावधान का इस्तेमाल किया और इस एफआईआर को रद्द कर दिया है।