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धर्मशाला। भाजपा नेता एवं विधायक सुधीर शर्मा ने खुलासा करते हुए कहा कि प्रदेश में रोज नए भ्रष्टाचार का खुलासा हो रहा है। ऐसा लगता है की जब से वर्तमान सरकार ने शपथ ली है, उसके बाद प्रदेश को ऑटो मोड पर छोड़ दिया है।
कोई देखने वाला नहीं, कोई पूछने वाला नहीं है। तीन जुलाई को हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड की बीओडी की बैठक हुई और बीओडी की बैठक में बहुत से जो सदस्य थे, उसमें कई अधिकारी थे जो नहीं आए। उसका कारण यह था की बैठक ने आनन-फानन में एक ऐसे टेंडर को स्वीकृत कर दिया, जो उसकी रिजर्व प्राइस से भी ऊपर था।
इस टेंडर पर फाइनांस सेक्रेटरी के ऑब्जेक्शन को भी नजरंदाज कर दिया गया। वित्त विभाग को आपत्ति थी कि जिस टेंडर की लागत 175 करोड़ रुपए है, विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित है। उस टेंडर को 245 करोड़ में अवार्ड किया गया। ये भी सिंगल टेंडर था। सुधीर शर्मा ने कहा कि वल्र्ड बैंक के पैसे पर इस तरह की अनियमिताएं हो रही हैं। यूपी की जिस कंपनी को ये फायदा दिया जा रहा है, वह वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में पंजीकृत हुई। इसके पास कोई बड़ा अनुभव भी नहीं है।
सुधीर शर्मा ने कहा कि क्या ऐसा तो नहीं है कि वर्तमान उपचुनाव के चलते जो खर्चा हो रहा है, उसको देखते हुए खर्चे को पूरा करने के लिए इस टेंडर को जल्द से जल्द अवंटित करने का निर्णय लिया गया। एसी भी जल्दी क्या थी? री टेंडर क्यों नहीं किया गया? इस टेंडर को पास करने के लिए गए बुलाई गई बैठक में बिजली बोर्ड के एमडी और स्पेशल सेक्रेटरी क्यों नहीं गए? आलम यह है कि मनमानी करने के लिए फाइनेंस सेक्रेटरी तक की बात को नहीं सुना जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में इस प्रकार के मामले अब आम हो गए हैं।