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अयोग्य घोषित कांग्रेस के बागी छह विधायकाें के मामले में प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट फाइल की है। अंतरिम आदेश जारी करने से पहले राज्य सरकार का पक्ष सुनने के लिए सरकार ने कैविएट याचिका दायर की है।
इस मामले में मंगलवार को कोर्ट नंबर दो में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, दीपांकर दत्ता और प्रशांत कुमार मिश्रा की तीन सदस्यीय खंडपीठ सुनवाई कर सकती है। कैविएट याचिका किसी प्रतिवादी के खिलाफ कोई भी निर्णय लेने से पहले सुनवाई का अधिकार देती है। कोई भी अदालत किसी व्यक्ति का पक्ष सुने बिना उसके खिलाफ निर्णय नहीं दे सकती या आदेश जारी नहीं कर सकती है।
इसी अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए कैविएट याचिका दायर की जाती है। राज्य सरकार की ओर से दलील दी जा रही है कि बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने एक ठोस आधार लेते हुए अयोग्य घोषित किया और उनकी सदस्यता रद्द की है। ये विधायक वित्त विधेयक के पारण के समय व्हिप जारी करने के बावजूद सदन में उपस्थित नहीं हुए। अब अगर इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होती है तो इसमें दोनों ही पक्षों को सुना जाएगा। कांग्रेस विधायक चैतन्य शर्मा एवं अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एवं अन्य मामले में सूचीबद्ध किया गया यह मामला सर्वोच्च न्यायालय की कॉज लिस्ट में 36वें नंबर पर है।
इसे रिट पिटिशन सिविल नंबर 156/2024 के रूप में पंजीकृत किया गया है। याचिकाकर्ता कांग्रेस के अयोग्य घोषित विधायक चैतन्य शर्मा, देवेंद्र कुमार भुट्टो, इंद्रदत्त लखनपाल, राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर और सुधीर शर्मा हैं। प्रतिवादी स्पीकर हिमाचल प्रदेश विधानसभा कुलदीप सिंह पठानिया, मंत्री हर्षवर्धन चौहान एवं अन्य हैं। याचिका के पंजीकृत होने के बाद राज्य सरकार की ओर से इस पर कैविएट याचिका दायर की गई है। सरकार इस मामले में कोई भी अंतरिम फैसला देने से पहले सुने जाने का अनुरोध कर रही है।