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प्रदेश की मौजूदा राजनैतिक परिस्थिति को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि यह जो कुछ हो रहा है, उस पर मैं कुछ नहीं बोल पा रहा हूं। मैं कुछ नहीं बोलूंगा। अगर आप बहुत आग्रह करोगे तो हो सकता है मेरी आंखों से कुछ आंसू निकल आए। शब्द मेरे पास नहीं है। उनका कहना था कि गुलाम देश की राजनीति देश के लिए थी, लेकिन आजाद देश की राजनीति केवल कुर्सी के लिए है, देश के लिए नहीं है और इस हवा में मेरी पार्टी भी चल पड़ी है।
इसका मुझे बहुत दुख है। मेरी पार्टी को नहीं जाना चाहिए था। शांता कुमार ने कहा कि मैंने सिद्धांत की राजनीति को कभी नहीं छोड़ा। देश में हमने राम मंदिर बना लिया।
राम का मंदिर बनने से कुछ नहीं होगा, बल्कि राम के आदर्श अपनाने होंगे। सिद्धांत की राजनीति लानी होगी। भगवान करे मेरे देश के सब नेताओं को सद्बुद्धि मिले और यह राजनीति देश के लिए हो।