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शिमला, 05 मार्च: हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को पिछले कुछ दिनों से बड़े बड़े झटके लग रहे हैं। जिसके बारे में सीएम सुक्खू ने भी नहीं सोचा हुआ था। ऐसा ही एक ओर बड़ा झटका सुक्खू सरकार को अब हिमाचल हाईकोर्ट ने दिया है।
हिमाचल की आर्थिकी बढ़ाने के लिए सुक्खू सरकार ने बिजली कंपनियों पर वाटर सेस लगाया था। जिसे अब हिमाचल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है और वाटर सेस को असैंवधारिक करार दिया है। हाईकोर्ट ने वाटर सेस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार के वाटर सेस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्रदेश सरकार को इस तरह का कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
जब प्रोजेक्ट लगे तो सेस नहीं था ऐसे में प्रोजेक्ट लगाने वालों के हित सुरक्षित नहीं रहेंगे। वाटर सेस जुड़ा कानून को असवैंधिक करार दिया गया है। आर्टिकल 246 के तहत प्रदेश सरकार कानून बनाने का अधिकार नहीं है। हाइकोर्ट के इस फैसले के बाद अब सुक्खू सरकार हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से वाटर सेस नहीं ले पाएगी। जस्टिस त्रिलोक चौहान व सत्येन वैद्य की बैंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया है।
सुक्खू सरकार वाटर सेस से कमाना चाहती थी 2500 करोड़ रुपए: वरिष्ठ वकील रजनीश मानिकतला ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल हाईकोर्ट ने वाटर सेस आयोग का गठन राज्य विधानसभा के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया है।
बता दें कि हिमाचल की कमजोर हो चुकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सत्ता में आने के बाद सुक्खू सरकार ने प्रदेश में चालू बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाया था। सुक्खू सरकार का वाटर सेस से 2500 करोड़ राजस्व का लक्ष्य था।
40 जल विद्युत कंपनियां पहुंची थी कोर्ट: सरकार के इस फैसले के विरोध में 40 जल विद्युत कंपनियां कोर्ट गई थीं। कंपनियों की ओर से दायर याचिकाओं पर हिमाचल हाईकोर्ट ने अब अपना फैसला सुनाया है। इस फैसले से सुक्खू सरकार को बड़ा झटका लगा है। हालांकि सरकार अब हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।