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हिमाचल प्रदेश में कॉटन कैंडी यानी जिसको बच्चे बुढ़ी माई का झाटा भी बोलते हैं की बिक्री और उसकी बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इस आदेश के जारी होने की तारीख से एक वर्ष की अवधि तक रोक लगाई गई है। इस संबंध में उपायुक्त खाद्य सुरक्षा एवं सचिव स्वास्थ्य की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है।
जारी की गई अधिसूचना के अनुसार हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से कॉटन कैंडी के नमूनों की जांच करने पर यह पाया गया है कि इन उत्पादों में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले गैर-अनुमति और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक संभावित खतरनाक रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
कॉटन कैंडी के नमूनों का प्रयोगशाला विश्लेषण ने स्पष्ट रूप से अनधिकृत रंग पदार्थ की उपस्थिति का खुलासा हुआ है। प्रदेश के कई क्षेत्रों में कॉटन कैंडी में इन गैर-अनुमति के रंगों की व्यापक पहचान सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती है।
खासकर बच्चों के लिए जो कॉटन कैंडी के प्राथमिक उपभोक्ता हैं। ऐसी कॉटन कैंडी के सेवन से सभी के स्वास्थ्य को खतरा होता है। जबकि, कानून और सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित के तहत, आयुक्त खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में किसी भी खाद्य पदार्थ के निर्माण, भंडारण, वितरण या बिक्री पर रोक लगाने के लिए जिम्मेदार है। कॉटन कैंडी का भंडारण, वितरण या बिक्री (किसी भी नाम से हो) चाहे पैक की गई हो या खुली हो।