न्यूज अपडेट्स
मंडी, 19 दिसंबर: हिमाचल में आज भी महिलाओं को दबाने उनको नीचा दिखाने की कई घटनाएं लगातार सामने आती रहती है और उनको किसी भी तरह से न्याय तक नही मिलता। जहां प्रदेश में गरीब महिलाओं की हालत बेहद खराब है, वही नौकरीशुदा महिलाएं भी सुरक्षित नहीं है। यहां मौका मिलते ही कई स्वघोषित नेता महिला अधिकारियों को दबाने का कोई भी मौका नही छोड़ता। ऐसा ही एक मामला मंडी के वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल तरौर से निकल कर सामने आया है। जहां एक बच्चे की सुरक्षा के लिए बोलना महिला प्रधानाचार्य किरण चौधरी को भारी पड़ गया।
जानकारी के मुताबिक 7 दिसंबर को एक बच्चा सुबह की प्रार्थना सभा में संस्कृत में गीत गा रहा था। आधा गीत गाने के बाद बच्चा बीच में हकलने और कांपने लगा। जिसके चलते प्रधानाचार्य किरण चौधरी ने बच्चे को गीत गाने से रोका और बैठने को कहा। प्रधानाचार्य किरण चौधरी के बच्चे के प्रति इस तरह के दया भरे व्यवहार से वहां मौजूद संस्कृत का अध्यापक भड़क गया। उसने प्रिंसिपल को बीच में टोका और बहस करनी शुरू कर दी तथा अंग्रेजी भाषा पर टिप्पणी करने लगा। भड़के हुए संस्कृत अध्यापक ने वहीं पर महिला प्रधानाचार्य पर कई तरह के आरोप लगाने शुरू कर दिया। संस्कृत अध्यापक ने महिला प्रिंसिपल पर संस्कृत में भाषण देने से रोकने का भी आरोप लगाया।
जब प्रिंसिपल ने संस्कृत अध्यापक को कार्यालय में बैठ कर बात करने को कहा तो उसने एसएमसी प्रधान गगन कुमार शर्मा को अभिभावकों सहित स्कूल में बुला लिया। एसएमसी प्रधान और अभिभावकों के दखल के बाद मामला बुरी तरह भड़क गया। लोगों ने बिना पूरी बात जानें स्कूल में जमकर हंगामा किया। प्रिंसिपल किरण चौधरी महिला होने के कारण अकेली पड़ गई। उसके बाद 12 दिसंबर को एसएमसी प्रधान और संस्कृत अध्यापक ने स्थानीय लोगों को स्कूल में इक्कठा किया और दूसरी बार प्रिंसिपल किरण चौधरी को डराने की कोशिश की। स्थानीय लोगों का कहना है कि एसएमसी प्रधान ने प्रिंसिपल को उनकी टेबल को बजा-बजा कर धमकाया।
स्थानीय सूत्रों में बताया कि यह सब हंगामा महज इसलिए किया गया क्योंकि प्रिंसिपल ने संस्कृत अध्यापक के खिलाफ सुबह की प्रार्थना सभा में टोकने और व्यवहार सुधारने संबंधी आदेश जारी किया था। संस्कृत अध्यापक प्रिंसिपल से वह आदेश रद्द करवाना चाहता था। जिसके कारण स्कूल में एसएमसी प्रधान और संस्कृत अध्यापक ने अभिभावकों को बुलाकर बड़े पैमाने पर हंगामा किया गया।
उधर कई लोगों ने यह भी बताया कि एसएमसी प्रधान ने पहले वाले प्रिंसिपल को भी बुरी तरह प्रताड़ित किया था। जिसके कारण वह स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो गया था। खबर तो यह भी है कि एसएमसी प्रधान के स्कूल की सीढ़ियों को तोड़ रखा है और कई महीनों से वह सब काम वैसे ही पड़ा हुआ है। एसएमसी प्रधान ने कई महीने बीत जाने के बाद भी सीढ़ियां ठीक नही करवाई। स्कूल के एमडीएम वर्कर ने भी एसएमसी प्रधान को कटघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि स्कूल में एससी और एसटी के बच्चों के रसोई घर में जाने पर पाबंदी है तथा उनके साथ भी बहुत बेहूदा व्यवहार किया जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह एक महिला प्रधानाचार्य को प्रताड़ित करना एक बेहद गंभीर विषय है। ऐसे मामलों में एसएमसी कमेटियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए और तथा ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। ताकि भविष्य में इस तरह की घटना ना घटे। कई अभिभावक एसएमसी प्रधान और संस्कृत अध्यापक के इस तरह के व्यवहार से बुरी तरह आहत है। उन्होंने कहा कि इन दो लोगों के कारण हमारे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अगर स्कूल में ऐसा माहौल रहा तो हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। एक अभिभावक ने तो संस्कृत अध्यापक और एसएमसी प्रधान को स्कूल से बाहर करने तथा भविष्य में दोबारा प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने को मांग कर डाली।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में जांच करवाई जा रही है। ताकि सही स्थिति का पता लगाया जा सके। लेकिन आज 6 से 7 दिन बीत जाने पर भी अभी तक कोई भी ठोस कार्यवाही अमल में नही लाई गई है। जिससे एसएमसी प्रधान और संस्कृत अध्यापक के हौसले बुलंद है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में शिक्षा विभाग क्या कार्यवाही करता है।