न्यूज अपडेट्स
कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5 पर चक्कीमोड़ के समीप पहाड़ी से भूस्खलन को रोकने के लिए अब नेलिंग तकनीक अपनाई जाएगी। इसके लिए 12 अगस्त को एनएचएआई की तकनीकी टीम मौके पर पहुंचेगी। यह टीम यहां पर मिट्टी जांचेगी। यदि यहां पर पिछली तरफ पक्की जगह निकलती है तो यहां पर नेलिंग तकनीक से दीवार लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही सड़क के निचली तरफ से कंक्रीट का डंगा लगाने का कार्य मौसम साफ होते ही शुरू कर दिया जाएगा।
दावा किया जा रहा है कि यह दोनों कार्य एक साथ चलेंगे और जल्द से जल्द इसे पूरा करने का समय तय किया जाएगा। चक्कीमोड़ के समीप पहाड़ी से भूस्खलन रोकने और डंगा लगाने के लिए तकनीकी टीम मौका देखेगी। इस टीम में आईआईटी हमीरपुर, आईआईटी रुड़की, एनएचएआई के सेवानिवृत्त अधिकारियों के अलावा प्रदेश सरकार के कई आला अधिकारी शामिल होंगे। यह टीम मौके का जायजा लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
नेलिंग तकनीक से पहाड़ी की तरफ मिट्टी में कील वाली दीवार बनाई जाती है। इसमें नट बोल्ट के साथ दीवारों में सीमेंट, सरिया व अन्य सामग्री लगाई जाती है। इससे मिट्टी में पकड़ बन जाती है और पहाड़ी से मिट्टी खिसकने का डर नहीं रहता। मौजूदा समय में कालका-शिमला एनएच पर सोलन बाईपास पर दोहरी दीवार, धर्मपुर में यह तकनीक पहाड़ी रोकने के लिए अपनाई गई है।
इनसेट चक्की मोड़ के समीप दरक रही पहाड़ी से भूस्खलन रोकने के लिए नेलिंग तकनीक अपनाई जाएगी। वहीं सड़क के निचली तरफ कंक्रीट का डंगा लगाया जाएगा। इसके लिए 12 अगस्त को तकनीकी टीम आएगी। टीम मौके का जायजा लेकर रिपोर्ट तैयार करेगी। उसके बाद यहां पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। -आनंद दहिया, प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई