Chandrayaan-3 : ISRO की मेहनत रंग लाई - चंद्रयान की चांद पर सफल लैंडिंग, यहां जानिए कैसे हुई चंद्रयान की लैंडिंग

Anil Kashyap
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न्यूज अपडेट्स 
Chandrayaan-3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर ली है. यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है. 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की चार साल की मेहनत रंग ले लाई. अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है. 

ISRO ने चांद पर परचम लहरा दिया है. अब बच्चे सिर्फ चंदा मामा नहीं बुलाएंगे. चांद की तरफ देख कर अपने भविष्य के सपने को पूरा करेंगे. करवा चौथ की छन्नी से सिर्फ चांद नहीं बल्कि देश की बुलंदी भी दिखेगी. Chandrayaan-3 ने चांद की सतह पर अपने कदम रख दिए हैं. 

चार साल से इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिक जो मेहनत कर रहे थे, वो पूरी हो चुकी है. भारत का नाम अब दुनिया के उन चार देशों में जुड़ गया है, जो सॉफ्ट लैंडिंग में एक्सपर्ट हैं. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के पीछे वैज्ञानिकों की मेहनत के साथ-साथ करीब 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना भी काम कर गई.।

कैसे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग? 

- विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की. अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे. यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक. 
- 7.4 km की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी. अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था. 
- 6.8 km की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई. अगला लेवल 800 मीटर था. 
- 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे.  
- 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच. 
- 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच. 
- 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी. 
- चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी.

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