मंडी, 09 जुलाई - बारिश के चलते मंडी शहर में ब्यास नदी ने करीब 28 साल बाद फिर रौद्र रूप दिखाया है। दो दिन से लगातार हो रही बारिश ने ब्यास नदी के जलस्तर में इजाफा कर दिया है। करीब 10 घंटे से अधिक समय से ब्यास नदी पंडोह से लेकर मंडी शहर और आगे खतरे के निशान से करीब 10 फीट ऊपर बहती रही। बढ़े हुए जलस्तर से नदी किनारे रह रहे लोगों में दहशत है।
प्रदेश में बारिश आफत बनकर बरस रही है। लगातार बारिश के चलते पंडोह डैम में भारी संख्या में पानी छोड़ा जा रहा है। इससे ब्यास नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। स्थानीय निवासियों की मानें तो 28 साल पहले 1995 में ब्यास नदी में इतना अधिक पानी देखने को मिला था।
ब्यास और सकोडी खड्ड् के तट पर बना ऐतिहासिक पंचवक्त्र महादेव मंदिर जलमग्न हो गया है। वहीं, हनुमान घाट के चारों ओर भी पानी का जलभराव हो गया है। पंचवक्त्र महादेव के साथ लगती पार्किंग पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। वाहन मालिकों ने खतरे को भांपते हुए रविवार सुबह पहले ही यहां से गाड़ियों को सुरक्षित निकाल लिया था। वहीं, ब्यास नदी के किनारे बना श्मशानघाट भी पूरी तरह से जलमग्न हो गया है।
उधर, पंडोह डैम से 1.62 लाख क्यूसिक प्रति सेकेंड के दर से पानी ब्यास नदी में छोड़ा जा रहा है। बीबीएमबी प्रबंधन की मानें तो पीछे से आ रहे पानी को आगे छोड़ा जा रहा है। पंडोह डैम का जलस्तर नियंत्रित है। ऐसे अब में ब्यास नदी के जलस्तर में कमी आने को लेकर कोई राहत नहीं लग रही है। ऊपरी क्षेत्रों में लगातार बारिश जलस्तर अधिक रहने की आशंका जताई जा रही है, जबकि बग्गी नहर में सिल्ट अधिक होने के कारण कम पानी छोड़ा जा रहा है।
ब्यास नदी में बढ़ते जल स्तर को देखते हुए नगर निगम मंडी के उपमहापौर वीरेंद्र भट्ट ने जल देवता की पूजा अर्चना की। नारियल भेंटकर शांत रहने और नुकसान न पहुंचाने का आग्रह किया। इसी तरह स्थानीय लोगों ने ख्वाजा पीर की की पूजा अर्चना राहत की कामना की।
चार क्वार्टर करवाए खाली
वन विभाग के खलियार में स्थित आवासीय परिसर में भी जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। विभाग ने यहां से चार क्वार्टरों को खाली करवा कर रेस्ट हाउस में इनके ठहरने की वैकल्पिक व्यवस्था की है। ब्यास नदी का बहाव आवासीय परिसर तक पहुंच गया है।
पुल से आवाजाही बंद, पुलिस का रहा पहरा
मंडी शहर के कई पुलों पर आवाजाही बंद रही। यहां पुलिस तैनात रही और लोगों से आगे जाने से रोकती रही। ब्यास नदी में बढ़े जलस्तर के चलते ऐतिहासिक विक्टोरिया पुल से कोई आवाजाही नहीं हुई, जबकि नए पुल से लोग पानी के इस जलजले को अपने कैमरे में कैद करते रहे। हालांकि पुलिस जवान पुल पर रुकने के लिए मना करते रहे