अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रक्रिया बनाई जाएगी सरल, राज्य सरकार कर रही विचार :CM

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शिमला, 17 मई - मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार देर सायं यहां ऊर्जा विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य सरकार विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी बढ़ाने के उद्देश्य से नई ऊर्जा नीति बनाने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई नीति के तहत भविष्य में मुफ्त बिजली रायल्टी में मोहलत का प्रावधान पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा और पूर्व में दी गई छूट को समाप्त करने पर विचार किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पहले 12 वर्ष तक 15 फीसदी, अगले 18 वर्ष तक 20 फीसदी और इससे अगले 10 वर्ष तक 30 फीसदी हिस्सा देने का प्रावधान होगा। अभी तक पहले 12 वर्ष के लिए 12 फीसदी, अगले 18 वर्ष के लिए 18 फीसदी और इससे अगले 10 वर्ष के लिए 30 फीसदी का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि जिन परियोजनाओं की लागत वसूल हो गई है, उनमें राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे तथा इसके लिए केंद्र सरकार और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों से पत्राचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भविष्य की जलविद्युत परियोजनाओं के लिए सरकार की नीति के अनुसार जमीन चालीस वर्ष के पट्टे पर दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिए पूर्व-कार्यान्वयन और कार्यान्वयन समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं करने के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को गंभीरता से लिया और ऊर्जा विभाग को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के भी निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 11149.50 मेगावॉट क्षमता की 172 जलविद्युत परियोजनाएं कार्यशील हो चुकी हैं, जबकि 2454 मेगावाट क्षमता की 58 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के विभिन्न उपक्रमों के माध्यम से निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं में अनावश्यक विलंब न हो और ऊर्जा विभाग को इनकी निगरानी के लिए तंत्र विकसित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के निर्माण में देरी से प्रदेश के राजस्व को नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निदेशालय को सुदृढ़ किया जाएगा और विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कई जलविद्युत परियोजनाओं ने एक बार की माफी लेने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है, ऐसे में इन परियोजनाओं का आवंटन तत्काल रद्द किया जाना चाहिए और इनका पुनः विज्ञापन प्रकाशित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्युत उत्पादन राज्य सरकार के लिए आय का मुख्य स्रोत है और प्रदेश के राजस्व अर्जन में किसी भी तरह के नुकसान से समझौता नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने राज्य में स्थापित की जा रही सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण की भी समीक्षा की और इनके कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस वर्ष 500 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और विभाग को इस दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, सचिव ऊर्जा राजीव शर्मा, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, निदेशक ऊर्जा हरिकेश मीणा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

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