शिमला,20 अप्रैल: यह कैसा प्रोटोकॉल..?, यह कैसी वीवीआईपी व्यवस्था..? क्या किसी इंसानी जान से ज्यादा जरुरी है महामहिम-माननीयों का काफिला..? यह कुछ सवाल हैं जिन्हें आम जनता जानना चाहती है, लेकिन वीवीआईपी कल्चर प्रोटोकॉल की आड़ में इन सभी सवालों को दफ़न कर देता है।
आज ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि देश की प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अपने चार दिवसीय दौरे पर आई हैं। दौरे का दूसरा दिन है। राष्ट्रपति का यह दौरा वीवीआईपी मूवमेंट के चलते आज किसी की जान ले सकता था, जब उनके काफिले की वजह से एक एम्बुलेंस को पंद्रह मिनट तक रोका गया।
प्रोटोकॉल का हवाला देकर एम्बुलेंस पंद्रह मिनट तक रोका
जैसा कि विदित है, महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने चार दिवसीय दौरे पर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला आई हुई है। इस दौरान राजधानी में वीवीआईपी मूवमेंट के चलते एक मरीज की जान उस समय संकट में आ गई जब, उसे इलाज के लिए एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया जा रहा था।
मिल रही जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति का काफिला राजधानी शिमला के प्रतिबंधित मार्ग मॉल रोड़ से ऑडिट एंड अकाउंट जनरल के प्रशिक्षण केंद्र से होकर गुजरने वाला था। उसी समय वहां से एक एम्बुलेंस मरीज को लेकर अस्पताल के लिए जा रही थी। मगर वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने प्रोटोकॉल का हवाला देकर एम्बुलेंस को स्कैंडल पॉइंट पर पंद्रह मिनट तक रोके रखा।
गरीबों की जान से ज्यादा मायने हैं वीवीआईपी कल्चर के
मालूम हो कि, राजधानी शिमला का मॉल रोड़ व रिज प्रतिबंधित मार्ग है। इस मार्ग से मात्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गवर्नर के काफिले के अलावा एम्बुलेस को ले जाने की ही अनुमति है।
मगर आज राष्ट्रपति को वीवीआईपी ट्रीटमेंट के चलते जिस तरह एम्बुलेंस को पंद्रह मिनट तक रोके रखा यह अपने आप में अनेकों सवाल खड़े करता है। वहीं इस मामले पर जब पुलिस अधिकारीयों से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने बताया कि, प्रोटोकॉल के चलते हमें जैसे आदेश दिए जाते हैं, हमें उनका अनुपालन कर लागू करना पड़ता है।