इसके अतिरिक्त याचिका में क्षेत्रीय वन अधिकारी बिलासपुर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और नेशनल हाईवे अथॉरिटी के प्रोजेक्ट निदेशक को प्रतिवादी बनाया गया है।
फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति घुमारवीं की ओर से फोरलेन निर्माण के दौरान हो रही अवैध डंपिंग को लेकर याचिका दायर की गई है। आरोप लगाया गया है कि किरतपुर-नेरचौक फोरलेन निर्माण के दौरान मलबे को अवैध तरीके से जंगलों में फेंका जा रहा है। इससे जंगलों को नुकसान हो रहा है। वन विभाग के पास इसकी शिकायत की गई।
वन विभाग ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी के प्रोजेक्ट निदेशक से 8.45 लाख रुपये का मुआवजा भी वसूला है। अदालत को बताया गया कि इस बारे में दोषी अधिकारियों के खिलाफ अभी जांच भी नहीं की गई है। यह जांच राज्य सरकार को करनी थी।
याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि इस जांच को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए जाएं। अवैध तरीके से जंगलों में फेंके गए मलबे को हटाए जाने की गुहार भी लगाई गई है।