बस के नीचे से बचाओ-बचाओ की आवाजें आ रही थीं। कुछ न कर पाने से बेबस लोगों की आंखों से आंसू निकल रहे थे। परिजन बिलख-बिलख कर रो रहे थे। ऐसे में प्रशासन ने बड़ी जेसीबी मंगवाई जो एक घंटे बाद आई। तीन घंटे बाद सुबह 11 बजे बस को सीधा करने और नीचे दबे लोगों को निकालना शुरू किया। करीब एक घंटे बाद 12 बजे बचाव अभियान खत्म हुआ। बस के नीचे से जैसे ही घायल या शव निकाला जा रहा था परिजनों का विलाप और जोर से शुरू हो रहा था।
सोमवार सुबह करीब 8:18 बजे यह हादसा हुआ। सुबह करीब 8:50 बजे ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंच गए। उन्होंने इसकी सूचना प्रशासन और पुलिस को दी। सुबह 9:00 बजे ग्रामीण प्रशासन और पुलिस की मदद का इंतजार करते रहे। बस में फंसे लोगों को निकालने का भरसक प्रयास किया गया, लेकिन एक भी सवारी को नहीं निकाल पाए। 10:30 बजे 108 एंबुलेंस भी पहुंच गई, लेकिन बस उलटी पड़ी होने के कारण यात्रियों को निकालना मुश्किल था। 11:00 बजे कुल्लू और बंजार से स्वास्थ्य विभाग की टीमें पहुंचीं। करीब 11 बजे बड़ी जेसीबी मशीन मौके पर आई, जिसकी सहायता से बस को सीधा किया गया और अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला गया।
बताया जा रहा है कि बस करीब 13 साल पुरानी थी। जांगला गांव के नजदीक हुए भूस्खलन के पास बस को निकालते वक्त वह पहाड़ी से होकर नीचे जा गिरी। जिस जगह हादसा हुआ, वह मार्ग भूस्खलन के चलते संकरा हो गया था। इस मार्ग पर न तो क्रैश बैरियर और न ही पैरापिट हैं। इस मार्ग पर अगर क्रैश बैरियर व पैरापिट होते तो कई लोगों की जानें बच जातीं। बस चालक की हालत भी गंभीर बनी हुई है। वह कुछ भी कहने की हालत में नहीं है। घायल सवार एक व्यक्ति की हालत भी गंभीर बनी है। परिचालक गोपाल ने कहा कि बस जब नीचे लुढ़की, तब उन्हें हादसे का एहसास हुआ। बताया जा रहा है कि जैसे ही बस ने सड़क से पलटा खाया तो कुछ सवारियां बाहर छिटक गई थीं। इनमें चालक, परिचालक और एक अन्य व्यक्ति था। लोनिवि ने इस सड़क का कुछ माह पूर्व टारिंग कर इसे पक्का किया है।
सैंज और शैंशर के ग्रामीणों ने भयावह बस हादसे के बाद सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों समेत एनएचपीसी और एचपीपीसीएल पर जमकर भड़ास निकाली। आरोप है कि दोनों प्रोजेक्टों के अधिकारियों ने घटना के बाद फोन नहीं उठाया। मशीनें आने के बावजूद समय पर घटनास्थल पर नहीं भेजा। इस कारण कई लोगों की जान चली गई। समय रहते गैस कटर मिलता तो उससेे बस के भाग को काटकर लोगों को बाहर निकालकर जान बचाई जा सकती थी, लेकिन प्रशासन ने छोटी मशीन भेजकर लोगों को तड़पने के लिए छोड़ दिया। लोगों के आक्रोश का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इसमें लोगों ने कहा कि सरकार, प्रशासन और एनएचपीसी, एचपीपीसीएल की नालायकी के कारण हादसा हुआ है।
विधायक सुरेंद्र शौरी और उपमंडलाधिकारी बंजार पीसी आजाद को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों प्रोजेक्टों ने एक हाइड्रा भी बस को उठाने के लिए नहीं भेजा। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी समय पर घटनास्थल पर नहीं पहुंचे। लोगों ने कहा कि शैंशर मार्ग पर खटारा बसों को चलाया जा रहा है।
इस वजह से हादसे हो रहे हैं। ऐसी बसों को तुरंत बंद कर देना चाहिए। हमारे परिवार पैदल ही सफर करेंगे। कम से कम उनकी जान तो बच जाएगी। अगर किसी बड़े नेता और अफसर का परिवार बस में सवार होता तो दर्द का अहसास होता, लेकिन सरकार और प्रशासन को यहां के लोगों की कोई चिंता नहीं है।
हिमाचल में कब-कब हुए बड़े हादसे
21 Jun 2019: जिला कुल्लू के बंजार में बयोठ मोड़ पर निजी बस खाई में लुढ़कने से 44 लोगों की मौत
9 अप्रैल 2018 : नूरपुर में खाई में गिरी स्कूल बस, 23 बच्चों समेत 27 की मौत
20 अप्रैल, 2017 : यात्रियों से भरी उत्तराखंड की ओवरलोड निजी बस शिमला के गुम्मा में खाई में गिरी, 45 की मौत
5 नवंबर, 2016 : मंडी के बिंद्रावणी में ब्यास में गिरी बस, 17 की मौत और 26 घायल
20 मई, 2016 : चंबा में बस हादसे में 14 मरे, 31 घायल
23 जुलाई, 2015 : कुल्लू में पार्वती नदी में गिरी बस, 31 लोग बहे
21 अगस्त, 2014 : किन्नौर के रुतरंग में बास्पा नदी में गिरी बस 23 की मौत, 20 घायल
27 सितंबर, 2013 : रेणुका में ददाहू-टिक्कर संपर्क मार्ग पर निजी बस गहरी खाई में गिरी। बस सवार सभी 21 लोगों की मौत
वर्ष 2006: सैंज के तलाड़ा के पास निजी बस हादसे में 14 की मौत हो गई थी
8 मई, 2013 : मंडी के झीड़ी में जोगणी माता मंदिर के पास ब्यास नदी में समाई बस, 40 मरे
11 अगस्त, 2012 : चंबा-धुलाड़ा मार्ग पर गागला के पास ओवरलोड बस हादसा, 52 मरे
14 May 2018: निजी बस और कार खाई में गिरी, 14 की मौत, एक ही परिवार के 6 मरे
10 जनवरी 2022: शिमला जिले के उपमंडल चौपाल की तहसील कुपवी में एक जीप हादसे में पांच लोगों की जान गई।
10 Oct 2021: चंबा-भरमौर मार्ग पर खाई में लुढ़की निजी बस, 36 घायल, 7 की हालत गंभीर
वर्ष 2010: एक निजी बस सैंज के ही करटाह में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इसमें 11 लोगों की मौत
जुलाई 2015: पंजाब से मणिकर्ण जा रही श्रद्धालुओं से भरी एक बस सरसाडी के पास पार्वती नदी में समा गई थी, 45 से अधिक श्रद्धालुओं की गई जान