नई दिल्ली। बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार ने बजट के दौरान ही बड़ा ऐलान कर दिया था। दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण के संकेत दिए हए हैं। वहीं अब खबर आ रही है कि सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है।
दो बड़े सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करने की तरफ तेजी से काम हो रहा है। बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार ही स्पष्ट कर चुकी है कि इससे न तो बैंक कर्मचारियों पर कोई असर होगा और न ही ग्राहकों पर। ग्राहकों की जमा पूंजी पूरी तरह सुरक्षित हैं तो वहीं कर्मचारियों को भी अपनी नौकरी को लेकर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक बिल की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार अगले महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक (Banking Laws Amendment Bill) लाने की तैयारी कर रही है। इस बिल के आने के बाद से बैंकों के निजीकरण का काम तेजी से बढ़ेगा। इस बिल को संसद में लाकर सरकार बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता साफ कर सकती है।
इन दो सरकारी बैंकों का निजीकरण
बजट घोषणा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की बात कही थी। दो बैंकों के साथ-साथ एक बीमा कंपनी के निजीकरण का ऐलान किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जिन दो बैंकों का निजीकरण किया जा सकता है उसमें इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का निजीकरण किया जा सकता है, हालांकि यहां बता दें कि इस बारे में किसी भी तरह की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।
सरकार बेचेगी अपनी हिस्सेदारी
सरकार बैंकों के निजीकरण के द्वारा निवेश हासिल कर बैंकों पर बढ़ते NPA को कम करने की कोशिश में जुटी है। सरकार इन बैंकों में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी को कम कर 26 फीसदी कर सकती है। इस हिस्सेदारी को बेचकर निवेश हासिल करेगी। बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक को संसद में पास करवा कर सरकार इस दिशा में बढ़ सकती है। सरकार की तैयारी लगभग पूरी है और वो इस मानसून सत्र में इस बिल को पास करवाने की पूरी कोशिश करेगी। हालांकि बैंकों के निजीकरण को लेकर बैंक कर्मचारी यूनियंस लगातार विरोध कर रहे हैं।