जिला कांग्रेस सेवादल के महामंत्री संदीप सांख्यान ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि सीमेंट कम्पनियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहा है। हद तो तब हो गई जहां एक तरह कोविड 19 का दौर अभी लोंगो की आर्थिकी सुधर नही पाई और महंगाई अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई है, काम-धंधे अभी ठीक से अपनी रफ्तार बढ़ा भी नही पाए, देश मे पांच राज्यों में से चार में भाजपा की सरकार बन गई तो ऐसे भाजपा सरकार ने हिमाचल प्रदेश सीमेंट दाम बढ़ा कर चुनावी तोहफा दिया है।
प्रदेश में सीमेंट का उत्पादन करने वाली एसीसी, अल्ट्राटेक व अंबुजा सीमेंट के दाम 25 रुपये प्रति बैग बढ़ा दिए गए हैं, जबकि सरिया 8000 रुपये प्रति क्विंटल, भट्टा ईंट पर 12 प्रतिशत जी.एस. टी, रेत-बजरी 50 रुपये प्रति फुट तक दाम हो चुके है। पिछले एक वर्ष की तुलना में आम आदमी को घर बनाने के लिए दुगनी कीमत चुकानी पड़ रही है। सीमेंट तो हर घर की बुनियाद की आवश्यकता है ही लेकिन बुनियादी जरूरत भी बन चुका है और अब सीमेंट का 450 रुपये प्रति बैग से 465 तक हो चुकी है, सीमेंट कम्पनियों की डीलर को बिलिंग 452 रुपये के आस पास हो चुकी है।
ऐसे में आम लोंगो को नए घर बनाना कठिन हो चुका है। लोंगो को नए घर बनाने का बजट एकाएक बिगड़ चुका है। बिलासपुर के बरमाणा में सीमेंट बनाने वाली एसीसी सीमेंट के दाम पहले 425 प्रति बैग थे, जो कि अब 450 रुपये प्रति बैग हो गए हैं। यही हाल अंबुजा सीमेंट की बोरी पहले 423 रुपये में मिल रही थी, जो अब 448 रुपये में मिलेगी। अल्ट्राटेक सीमेंट प्रति बैग 420 से बढ़कर अब 445 रुपये हो गया है।
इस बढोत्तरी आमजन नए मकान बनाने, नए डंगे, पानी की खुर्लियाँ, पानी टैंक, पेयजल योजनाओं, ग्रामीण रास्तों निर्माण कार्य सभी वधित हो जाएगा। इस मसले पर प्रदेश सरकार को गम्भीरता से सोचना चाहिए और ताकि आम लोंगो को राहत प्रदान हो सके नहीं तो प्रदेश सरकार इस चुनावी वर्ष में अपनी हार अभी से ही सुनिश्चित कर ले।