बिलासपुर: (अनिल)- अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पूर्व मंत्री व विधायक श्री नयना देवी जी राम लाल ठाकुर ने प्रदेश सरकार के मतस्य विभाग के मंत्री व निदेशक को सवालों के घेरे में खड़े करते हुए पूछा है कि क्या कारण रहा कि आज गोविंद सागर में मछली का उत्पादन बंद हो गया और गोविंद सागर झील से अपना जीवन यापन करने वाले करीब 5000 मछुआरों को भूखे मरने की नौबत आ चुकी है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने गोविंद सागर झील की ठेकेदारी किसी निजी कम्पनी को पिछले वर्ष दी थी। अब 31 मार्च को वह कम्पनी अपना काम करके चली गई और नए मत्स्य शिकार के लिए पहली मार्च तक कोई भी मत्स्य आखेट करने वाली सहकारी समितियां बिक नहीं पाई और एक ही रात में हज़ारों मछुआरे बेरोजगारी के कगार पर खड़े हो गए।
उन्होंने कहा कि इस लापरवाही के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री और मत्स्य विभाग के मंत्री और सचिव मत्स्य व निदेशक सभी जिम्मेदार हैं। गर्मियों में 2 से 3 टन का औसतन उत्पादन गोविंद सागर झील में होता आया है जिसके परिणामस्वरूप मछुआरों को प्रतिदिन 10 से 15 लाख का व्यवसाय औसतन होता है। इस उत्पादन से प्रदेश सरकार को औसतन 3 से 5 लाख रुपयों की आमदनी रॉयलिटी के तौर पर होती है और बाकी का पैसा मछुआरों की कमाई में बंटता है।
आज जैसे ही गोविंद सागर झील में मत्स्य उत्पादन बंद हुआ उससे प्रदेश सरकार को कितना नुकसान हुआ है और मछुआरों को कितना नुकसान हुआ उंसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और प्रदेश सरकार मत्स्य मंत्री को इसका भुगतान करना चाहिए। गोविंद सागर झील पर करीब 39 मत्स्य उत्पादन की सहकारी समितियां है जिनमे से इक्का-दुक्का को छोड़ कर बाकी सभी मत्स्य विभाग की नालायकी के कारण उत्पादन नही कर पा रही है।
यह सब प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के कारण और स्थानीय मछुवारों के हितों के साथ खिलवाड़ करने के कारण हो रहा है। विभाग की नालायकी यहाँ भी साफ नज़र आती है कि उन्होंने पूरी झील को बेचने की तैयारी तक कर ली थी जिसकी रिज़र्व प्राइस 2 करोड़ रुपये रखी थी, यह शुक्र है कि इस ई टेंडर की प्रक्रिया में कोई खरीदार नहीं मिल पाया।
राम लाल ठाकुर ने इस बात पर भी संदेह जताया कि निजी कम्पनियों को झील की ठेकेदारी इसलिए भी दी जाती है कि स्थानीय मछुआरों के रोजगार पर लात मारी जाए और ऊपरी- ऊपरी चोखी मलाई साफ कर दी जाए, जो वह होने नहीं देंगे। आज प्रथम अप्रैल है कोई भी मछली उत्पादन नहीं हो रहा है जड्डू, भाखड़ा, ज्योरी, कुटलैहड़, कोल डैम, बिलासपुर, लठैनी सभी मछली उत्पादन की बिटें बंद रहने के कारणों का प्रदेश सरकाए उच्चस्तरीय जांच करवाएं।