Credit Score: जब आप बैंक या किसी वित्तीय संस्थान से लोन के लिए आवेदन करते हैं तो आपकी आयु, आय, और पेशे के अलावा क्रेडिट स्कोर को भी ध्यान में रखा जाता है. क्रेडिट स्कोर (Cibil Score) कम होता है तो या तो लोन आवेदन खारिज हो सकता है या लोन पास हुआ भी तो अधिक ब्याज चुकाना पड़ सकता है. क्रेडिट स्कोर न केवल होम लोन के लिए आवेदन करते समय बल्कि पूरी चुकौती अवधि के दौरान भी बेहद अहम होते हैं. होम लोन की ब्याज दरें अभी सबसे निचले स्तर पर हैं, लेकिन यह जेंडर, लोन टू वैल्यू (LTV) और बॉरोअर के क्रेडिट स्कोर के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. क्रेडिट स्कोर में बदलाव के चलते लोन पीरियड के दौरान आपके होम लोन पर ब्याज दर में अंतर हो सकता है.
कैसे होती है ब्याज दर की गणना
क्रेडिट स्कोर के इंपैक्ट में आमतौर पर अलग-अलग बैंकों में अंतर होता है. क्रेडिट स्कोर को लेकर प्रत्येक बैंक का अपना तरीका होता है, जिसके चलते ब्याज दरों में अंतर होता है. उदाहरण के लिए, अगर आपका क्रेडिट स्कोर 800 से ऊपर है और आपकी होम लोन राशि 30 लाख रुपये से कम है, तो बैंक आपसे 6.70% प्रति वर्ष का ब्याज वसूल सकता है, और अगर अमाउंट 1 करोड़ रुपये से अधिक है, तो वही बैंक आपसे 7.50% प्रति वर्ष का ब्याज वसूल सकता है.
इसलिए, एक निश्चित क्रेडिट स्कोर रेंज पर होम लोन राशि के आधार पर लागू ब्याज दरों में अंतर हो सकता है. आमतौर पर, क्रेडिट स्कोर कम होने पर लागू ब्याज दर ज्यादा होता है या इसके उलट, क्रेडिट स्कोर अच्छा होने पर ब्याज दर कम हो सकता है. यहां हमने नीचे एक टेबल दी है, जिसके ज़रिए आप यह समझ सकते हैं कि अलग-अलग क्रेडिट स्कोर रेंज के साथ ब्याज दर कैसे बदलती है.
मौजूदा बॉरोअर्स पर खराब क्रेडिट स्कोर का प्रभाव
अगर आपने होम लोन ले लिया है तो इस दौरान आपके क्रेडिट स्कोर में गिरावट से ब्याज दरें बढ़ सकती हैं. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि लोन लेते समय, आपका क्रेडिट स्कोर 800 था, और आपको दी जाने वाली ब्याज दर 6.7% प्रति वर्ष थी. बाद में, लोन पीरियड के दौरान क्रेडिट स्कोर 700 तक गिर गया, तो आपके लोन पर ब्याज दर बढ़कर 7% हो जाएगी. यानी यह आपकी नई क्रेडिट स्कोर रेंज के अनुसार बदल जाएगी.
बैंक साल में कम से कम एक बार बॉरोअर के क्रेडिट स्कोर का रिव्यू करते हैं और इसके हिसाब से ही बॉरोअर पर लागू ब्याज दर को एडजस्ट करते हैं. अगर बैंक के रिव्यू के दौरान क्रेडिट स्कोर गिरता है, तो लोन पर लागू ब्याज दर बढ़ सकती है. इसी तरह अगर स्कोर बढ़ता है, तो ब्याज दर कम हो सकती है. कुछ बैंक केवल तभी ब्याज दरों में वृद्धि कर सकते हैं जब बॉरोअर के क्रेडिट स्कोर में 50 बेसिस प्वाइंट या उससे अधिक की गिरावट हो. होम लोन के लिए आवेदन करने से पहले और पूरी चुकौती अवधि के दौरान ब्याज दर में किसी भी वृद्धि से बचने के लिए एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखना जरूरी है.