सीट नंबर 22, 23 और 24 की खिड़की में शीशा था ही नहीं, हवा रोकने के लिए गत्ता फंसाया गया था। एक नंबर सीट पर बैठे कंडक्टर से जब ठंड सहन नहीं हुई तो उसने भराड़ीघाट में ढाबे वाले से गत्ता मांग कर सीट के सामने फंसाया। बस में इतनी ठंड थी कि ड्राइवर को सफर के दौरान गमछे से अपना पूरा मुंह बांध कर रखना पड़ा। तड़के 4: 30 बजे बैजनाथ से पीछे ऐहजू रेलवे क्रॉसिंग के पास एकाएक बस बंद हो गई।
ड्राइवर कंडक्टर ने रेडिएटर में ठंडा पानी डालने की कोशिश की लेकिन पानी उबाल मारता रहा। बोनट खोलने पर पता चला कि रेडिएटर की पाइप लीक कर रही है। सेलो टेप का जुगाड़ बना कर बड़ी मुश्किल से बस को पालमपुर पहुंचाया गया।
शीशा टूटने से पेश आई दिक्कत : आरएम
पालमपुर डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक उत्तम सिंह ने बताया कि रूट के दौरान शीशा टूटने के कारण समस्या पेश आई है। नाइट सर्विस पर उन बसों को भेजने के निर्देश दिए हैं जिनकी स्थिति सही है। मुख्यालय को 20 नई बसों की डिमांड भेजी है। अप्रैल में बसें मिलने की उम्मीद हैं।
हैरत, 5 सालों से नहीं मिली एक भी नई बस
2017 के बाद पालमपुर डिपो को नई बसें नहीं मिली हं। इसलिए खटारा बसों से काम चलाया जा रहा है। कमाई की बात करें तो पालमपुर-दिल्ली चलने वाली बस की औसतन एक दिन की कमाई 17000 है। पालमपुर-शिमला की एक दिन की सर्वाधिक कमाई 36000 तक हुई है। नई बसें न होने के कारण प्रबंधन यात्रियों की जान को खतरे में डालकर खटारा बसों को रूटों पर हांकने के लिए मजबूर है।